इस्लामाबाद। ऐसे समय में जब अमेरिका से मिलनेवाली मदद लगातार कम होती जा रही है, पाकिस्तान ने भारत को ध्यान में रखते हुए अपना रक्षा बजट बढ़ाने का फैसला किया है। 2018-19 के लिए पाकिस्तान के रक्षा बजट में करीब 20 फीसदी की वृद्धि की गई है, जो पीएमएल-एन सरकार के मौजूदा कार्यकाल में सबसे बड़ी वृद्धि है। सेना व सरकार के बीच मतभेदों और चुनौतियों के बीच रक्षा बजट में फंड बढ़ाया जाना काफी महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
आतंकवाद से जंग के अलावा पाकिस्तान का रक्षा खर्च हमेशा भारत पर केंद्रित रहा है। दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच अक्सर तनाव बना रहता है। हाल के महीनों में नियंत्रण रेखा और वर्किंग बाउंड्री के पास गोलीबारी बढऩे से तनाव बना हुआ है। आपको बता दें कि इसी साल की शुरुआत में भारत ने अपने रक्षा बजट में करीब 8 फीसदी की वृद्धि की थी। हालांकि भारत का कुल रक्षा बजट पाकिस्तान की तुलना में 6 गुना ज्यादा है।
आपको बता दें कि पीएमएल-एन सरकार के सैन्य नेतृत्व के साथ रिश्ते काफी असहज रहे हैं। कई राजनीतिक विवाद भी सामने आए, इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और हाल ही में विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ को भी अयोग्य ठहरा दिया गया। पाक सरकार और सेना के बीच तनाव के बावजूद तीनों सशस्त्र बलों के लिए 1.1 ट्रिलियन रुपये (1.1 लाख करोड़ रुपये) के बजट का प्रस्ताव किया गया है।
पहली बार डिफेंस बजट ने 1 ट्रिलियन रुपये के आंकड़े को पार किया है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना करने पर पता चलता है कि 2018-19 के लिए रक्षा बजट में 180 अरब रुपये की वृद्धि (19.6 प्रतिशत) की गई है। आर्म्ड फोर्सेज डिवेलपमेंट प्रोग्राम के लिए आवंटित 100 अरब रुपये को भी रक्षा खर्च में शामिल कर लिया जाए तो कुल वृद्धि 30 फीसदी होगी।
इस आंकड़े में 260 अरब रुपये को शामिल नहीं किया गया है जो सैन्य कर्मियों के पेंशन के लिए आवंटित की गई है। इसे सिविलियन बजट से दिया जाएगा। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि कुल रक्षा बजट में से पाकिस्तान आर्मी को 47 फीसदी, एयर फोर्स को 20 फीसदी और नेवी को करीब 10 फीसदी राशि मिलती है।