प्राथमिक शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार पर उम्दा फिल्म मास्साब
फिल्म : मास्साब
कलाकार : शिवा सूर्यवंशी , शीतल सिंह , चंद्रभूषण सिंह , नर्मदेश्वर दुबे
निर्देशक : आदित्य ओम
अवधि : 114 मीनट
रेटिंग : ४ स्टार
हिंदी फ़िल्मो में प्रशासन और सिस्टम में फैली बुराइयों को दिखाया जाता रहा हैं इस कड़ी में इस सप्ताह रिलीज़ हो रही फिल्म मास्साब उत्तर भारत के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा के स्तर में आयी गिरावट की मूल कमियों की ध्यान आकर्षित करती है साथ ही आशीष कुमार जैसे एक नए नायक से परिचित कराती हैं वह अच्छी शिक्षा और जागरूकता के अपने लक्ष्य के लिए सबकुछ करता हैं तो अपने विरोधियों का दिल भी जीत लेता हैं।
फिल्म के नायक प्राथमिक अध्यापक आशीष कुमार को बच्चों को पढ़ाने-लिखाने का जुनून है. अपने इस सपने को पूरा करने की ख़ातिर वो अपनी आईएएस की सरकारी नौकरी को भी त्याग दिया हैं ट्रांसफर के बाद बंदेलखंड के खुरहण्ड गांव के प्राथमिक विद्यालय में पहुंचने पर पता चलता है कि भ्रष्टाचार के चलते विद्यालय बहुत ही खस्ताहाल स्थिति में हैं गांव के लोग अपने बच्चों को शहर के निजी विद्यालय में पढ़ने के लिए भेजते हैं . उसे एक बेहद पिछड़े हुए ग्रामीण इलाके में पढ़ाने का मौका मिलता है जहां उसका सामना दकियानूसी रिवाज़ों व अंधविश्वासों को मामनेवालों, उपेक्षा और करप्शन का शिकार लोगों से होता है. आशीष कुमार प्राथमिक विद्यालय को ठीक करने का संकल्प लेता हैं और इस कार्य में गांव की युवा प्रधान उषा देवी का साथ मिलता हैं। अपनी मेहनत, लगन और समर्पण से वो गांव के प्राथमिक स्कूल का हालत इस क़दर बदल देते हैं कि बाद में वो स्कूल श्रे़ष्ठ निजी स्कूलों को टक्कर देने में सक्षम हो जाता है. मगर गांव में उसके सकारात्मक बदलाव लाने के प्रयासों से नाराज़ लोग उसके ख़िलाफ़ एक बड़ा षडयंत्र रचते हैं. ऐसे में आशीष कुमार इस इन नयी चुनौतियों का कैसे करता है और कैसे इन विषम हालात में भी स्कूली बच्चों को शिक्षा देने का कार्य जारी रखता है, इसका खुलासा रोमांचक अंदाज़ में फ़िल्माये गये क्लाइमेक्स के दौरान होता है.
निर्देशक आदित्य ओम ने मास्साब में उत्तर प्रदेश के गामांचल के परिवेश को वास्तविक क़िरदार और संवाद से जीवंत कर दिया हैं। कहानी समाज में व्याप्त बुराइयों पर बात करती हैं पर यह किसी उपदेशात्मक तरीके से न नहीं हैं फिल्म में जाति पात का भेदभाव , ग़रीबी , कन्या शिक्षा के प्रति उदासीनता , रूढ़िवादी शिक्षा , शिक्षा माफ़िया , सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार जैसी बुराइयों को दिखाया गया हैं लेकिन बेहद ही मनोरंजक और रोचक तरीके कहा गया हैं। आदित्य ओम किसी एक समस्या या बुराई पर ठहरते हैं बल्कि सरकारी तंत्र की भ्रष्ट रवैये पर बार बार प्रहार करते हैं उनके रचे किरदार , स्थान और कहानी के सिनेमाई संसार के ड्रामे में आपको सबकुछ वास्तविक लगता हैं
फिल्म के मुख्य नायक आशीष कुमार का किरदार निभा रहे शिवा सूर्यवंशी अपने कॅरियर की शुरुवात कर रहे है अपनी पहली फिल्म में अपने अभिनय से प्रभावित करते है यह किरदार आशीष कुमार फिल्म स्वदेश के मोहन भार्गव , सुपर ३० के आनंद कुमार के समकक्ष है लेकिन इस किरदार में असीमित संभावनाएं हैं जिसे शिवा सूर्यवंशी ने पुरे न्याय के निभाया हैं फिल्म में उषा देवी के किरदार में शीतल सिंह ने सराहनीय अभिनय किया हैं गांव की लड़की के किरदार में शरारती अंदाज के साथ ही भावनात्मक दृश्यों अभिनय की विविधता हैं फ़िल्म में जिलेदार सिंह के किरदार में नर्मदेश्वर दुबे , महेंद्र यादव का किरदार निभानेवाले चंद्रभूषण सिंह , स्कूल के हेड मास्टर के किरदार में जय प्रकाश सिंह और विद्यालय की शिक्षिका शान्ति देवी के किरदार में संजना शर्मा का अभिनय भी उल्लेखनीय हैं।
फिल्म मास्साब यह साबित करती हैं समिति संसाधन, चर्चित कलाकार और लोकप्रिय संगीतकार के बिना भी एक उम्दा फिल्म बनाई जा सकती हैं। इसलिए आप अच्छी फिल्म देखने के शौकीन हैं तो मास्साब आपके लिए हैं