एक फ़िल्म जिसमें देवानंद स्टार नही एक कलाकार बन के काम किया

गाइड देव आनंद की एक कलाकार के रूप में और निर्माता साथ ही नवकेतन की बेहतरीन फ़िल्म थी इस फ़िल्म में उन्हें धन और ख्याति तो मिली हैं उन्हें आत्म संतोष भी मिला।

यह फ़िल्म आर. के . नारायण के उपन्यास “द गाइड” पर आधारित थी । इस फ़िल्म को निर्देशित किया था उनके भांजे विजय आनंद ने , पूरी फिल्म की पटकथा को इतना चुस्त दुरुस्त लिखा गया था की इसमें कही कोई खामी नज़र नही आती।


मैं जब भी गाइड देखता हूँ कुछ न कुछ नयापन नज़र आता हैं फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत है की उसमें देवानंद एक स्टार नही एक कलाकार नजर आते हैं हमे फ़िल्म में याद रहता हैं तो राजू गाइड।

फ़िल्म के निर्देशक विजय आनंद देव साहब के स्टारडम से परिचित थे , पर यह अलग फ़िल्म थी इसमें राजू को नायक ,खलनायक और फिर नायक के कई चरित्रों को जीता हैं ,विजय देव साहब से राजू का चरित्र जीवंत करने में कामयाब रहे ।

निर्देशक ने नायक के पात्र को मजबूत और लोगो से जुड़ने वाला बनाया हैं उसमें बजाय अच्छाई बुराई के सिर्फ अपनापन नज़र आता हैं ।
फ़िल्म के अंदर झांकने से अहसास होता की राजू रोजी को पाने की संघर्ष में एक एक चीज खोता जाता हैं। पहले अपनी गाइडी ,फिर रेलवे की कैंटीन, मां, मामा ,दोस्त गफ़ूर और फिर रोज़ी और अंततः अपने आप को खो देता हैं।

गाइड तकनीकी रूप भी परिपूर्ण फ़िल्म है ,उम्दा छायांकन,चुस्त संपादन, नृत्य और संगीत किसी चीज में फ़िल्म की कमी नही निकाली जा सकती हैं।

पहले यह फ़िल्म अंग्रेजी में बन कर फ्लॉप हो चुकी थी फिर इसमें कुछ परिवर्तन कर हिंदी में रिलीज़ किया गया और फिर सफलता का नया इतिहास बना।

गाइड एक फ़िल्म मात्र नही यह एक अहसाह जिसे आपको महसूस करना होता है।

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