समाचारपत्र से प्रेमपत्र तक

तरुण प्रकाश, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप 
हर सवेरे
आ जाते हैं समाचारपत्र ,
खिड़की के रास्ते
उछल कर प्रवेश करते हैं ड्राइंगरूम में
हत्या , लूट, आगजनी और बलात्कार ।
कवि कविता रच रहा है
लेखक लिख रहा है सत्य और विश्वास की कहानी
संगीतकार बरसाता है अक्षत निर्झर
और चित्रकार रचता है,
इस लिज़लिज़ी ज़मीन पर दमदमाता अंबर
लेकिन –
यह सब समय के साँचे पर कस नहीं पाता
पता नहीं – यह समय गलत है या ये लोग।
सोचता हूँ ,
अभी नहीं आया था
मेरे जन्म लेने का समय
मुझे लौटना होगा – एक लम्बे वनवास को
एक निरंतर
तपस्या जीने के लिये।
तुम प्रतीक्षा करना
मैं फिर वापस आऊंगा
और,
समाचारपत्रों की यात्रा समाप्त कर
उजास की पहली किरन के साथ
हर आंगन के लिये प्रेमपत्र लाऊंगा।
तुम मेरा यकीन करो’
समाचारपत्र से प्रेमपत्र की यह यात्रा
लम्बी अवश्य है
किन्तु असंभव नहीं ।

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