कोरोना, लॉकडाउन और हम

सुरेश ठाकुर
“जान है तभी जहाँ है…वरना सब व्यर्थ है”|
बरेली: प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में लॉकडाउन को एक बार पुनः 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है | हालाँकि कुछ प्रांतीय सरकारें पहले ही इसे 30 अप्रैल तक बढ़ाये जाने की घोषणा कर चुकी थीं | हम सब जान चुके हैं कि लॉकडाउन एक ऐसी स्थिति है जहाँ समस्त सामाजिक, औद्योगिक, व्यापारिक, शैक्षिक, परिवहन आदि सम्बंधी गतिविधियाँ ठहर जाती हैं | इन गतिविधियों के ठहर जाने का अर्थ है जीवन का ठहर जाना, विकास का अवरुद्ध हो जाना | लोग अपने अपने घरों में कैद होकर रह जाते हैं | उन लोगों के लिए तो ये स्थिति और भी पीड़ादायक होती है जिनकी आमदनी का एकमात्र आलम्बन उनका दैनिक परिश्रम है | अब प्रश्न उठता है कि ये लॉकडाउन आख़िर क्यूँ आवश्यक है ? लॉकडाउन की अपरिहार्यता को समझने से पहले आवश्यक है कि ‘कोरोना’ नाम की उस महामारी को समझा जाए जो न केवल हमारे देश के लिए वरन समूचे विश्व और मानवता के लिए प्राणघातक चुनौती बनकर खड़ी हुई है |
जनसाधारण से लेकर विशिष्ट, अति विशिष्ट जन तक इसका शिकार हो चुके हैं | विगत छै: माह से भी कम समय में पूरी दुनिया में बीस लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं जिनमें से लाखों लोग तो अपनी जान भी गंवा चुके हैं | इटली, अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड जैसे आधुनिक चिकित्सा सुविधा संपन्न देशों में भी हजारों की संख्या में लोग काल के गाल में समा चुके हैं और ये सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है |गनीमत है कि भारत ने इस महामारी के प्रति समय से संज्ञान ले लिया और जन सहयोग से आवश्यक सावधानियाँ बरत कर जन हानि को दस गुना तक कम कर लिया | सावधानियाँ इसलिये क्योंकि कोरोना नाम की विषाणु जनित इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है | केवल कुछ सावधानियों के द्वारा ही इससे बचा जा सकता है |
जनसंख्या के हिसाब से हमारे पास उपलब्ध चिकित्सकीय सुविधाओं का नितांत अभाव है | इसका संक्रमण इतनी तेजी से फैलता है कि यदि कोई सावधानी न बरती जाए तो एक सौ तीस करोड़ की आबादी में संक्रमित लोगों की संख्या कुछ ही सप्ताह में इतनी हो जायेगी जिन्हें अस्पताल में बेड तक दे पाना संभव नहीं होगा | इलाज तो बहुत दूर की बात है | ऐसे में हमारे पास सावधानी के अलावा दूसरा कोई रास्ता कहाँ बचता है भला |कौन कौन सी सावधानी बरती जानी चाहिये, इसपर चर्चा करने से पूर्व आवश्यक होगा कि इस वायरस की प्रकृति को समझा जाए | ज़ाहिर है कि दुश्मन के स्वभाव की जानकारी हो जाने पर उसके विरुद्ध नीति निर्धारण में आसानी होती है |
कोरोना वायरस की प्रकृति
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1. ये वायरस हवा में उड़कर एक से दूसरे को संक्रमित नहीं करता बल्कि स्पर्श करने से संक्रमित करता है |
2. ये वायरस किसी मनुष्य के साथ साथ उन सभी स्थानो तथा वस्तुओं पर मौजूद हो सकता है जिन्हें संक्रमित व्यक्ति ने छुआ है जैसे कार या घर के दरवाजे के हैंडिल, सिटकनी, डोरवैल, लिफ्ट, इलेक्ट्रिक स्विच, कुर्सी, मेज, किताब. कॉपी, फायलें, पेन, पेंसिल बगैरह, बगैरह, बगैरह | और यदि स्वस्थ व्यक्ति इन्हें छू लेता है तो वह इस वायरस को अपने पास ग्रहण कर लेता है |
3. ये वायरस केवल चार रास्तों से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकता है | आँख, नाक, मुह और खुला घाव |
4. निर्जीव वस्तुओं पर इसके जीवित रहने की अवधि, सरफेस और तापक्रम के अनुसार कुछ घण्टों से लेकर कुछ दिन तक ही होती है | उसके बाद ये स्वत: मर जाता है |
5. ये वायरस हमारे घर में तभी प्रवेश पा सकता है जब या तो हम घर से बाहर निकलते हैं और असावधानीवश इसे अपने साथ ले आते हैं या फिर बाहर का कोई व्यक्ति (जो संक्रमित है) हमारे घर में आता है |
6. इसके अलावा बाहर बाज़ार से आई वस्तुओं (फल, सब्ज़ी, पैकेट्स, अखवार आदि) के साथ भी इसके हमारे घर में प्रवेश की सम्भावना है |
7. किसी भी संक्रमित व्यक्ति के अंदर इसके लक्षण प्रदर्शित होने में उसके उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर 15 से 20 दिन तक का समय लग सकता है | इस बीच वह अपने को स्वस्थ मानते हुए अनजाने में अनेक लोगों के संपर्क में आता रहता है और उन्हें संक्रमित करता रहता है |
चूँकि कोरोना का टेस्ट महँगा होने के साथ साथ हमारे देश में इसकी “Test Kit” की उपलब्धता भी सीमित है अतः व्यवहारिक रुप से ये कतई संभव नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति का कोरोना टेस्ट किया जा सके |
अब ज़रा सोचिये…..ऐसे में क्या युक्ति संभव है हमारी सरकार के लिए जो इस खतरनाक वैश्विक महामारी से अपने नागरिकों की रक्षा कर सके | ले देकर वचाव और सावधानियाँ ही एकमात्र रास्ता बचता है जिन्हें सख्ती के साथ अपनाना होगा वरना कुछ ही माह में करोड़ों लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं | फिलहाल इसका इलाज तो है ही नहीं किंतु प्रथमिक उपचार के लिए उन्हें एडमिट करने के लिए पर्याप्त बेड तक नहीं होंगे अस्पतालों में | लोग घरों में, बाज़ार में, सड़कों पर दम तोड़ रहे होंगे | शमशान-गृह, कब्रिस्तानों में जगह नहीं होगी जहाँ उनका अंतिम संस्कार किया जा सके | संक्रमित होने की आशंका और भय से परिजन तक उस मृत शरीर को छूने से परहेज़ करेंगे | ये कोई काल्पनिक चित्रण नहीं है इटली में हम देख चुके हैं इसे | लोगों ने अपने घरों से लाकर रुपये सड़क पर फेंक दिए ये कहते हुए कि जब ये धन हमारा जीवन नहीं बचा सकता तो भला हमारे किस काम का |
अब निश्चय ही हम इस महामारी की घातकता और सावधानियों की अपरिहार्यता को समझ गए होंगे | सरकार लॉकडाउन के रुप में जिन सावधानियों को हम पर लागू कराने का प्रयास कर रही है सम्भवतः उससे ही कोरोना से मुक्ति का रास्ता निकल सकता है |
लॉकडाउन के द्वारा सरकार ‘कोरोना’ पर दो तरफ़ से प्रहार कर रही है |
1. अति आवश्यक सेवाओं को छोड़कर शेष सभी बाज़ार, शॉपिंग-मॉल, सिनेमाघर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट आदि लंबे समय के लिए बंद कर दिए गए हैं ताकि वे स्थान वायरस मुक्त होने के लिए पर्याप्त समय पा जायें और उन स्थानों पर मौजूद वायरस स्वतः मर जाए |
2. लोगों को उनके घरों तक सीमित कर देने के पीछे उद्देश्य ये है कि ये संक्रमण जहाँ तक है वहीं तक सीमित होकर रह जाए | इसके आगे इधर उधर न फैले |
जिस व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण नज़र आयें वह तत्काल हेल्पलाइन नम्बर पर सूचना दे ताकि उसे तुरंत आवश्यक चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सके तथा उसके परिजनों आदि का कोरोना टेस्ट कर के उनकी भी अद्यतन स्थिति जानी जा सके |
यदि हम इस लॉकडाउन की अहमियत को समझते हुए इसका स्वयं ही कड़ाई से पालन करते हैं तो ये हमारे और हमारे परिवार के ही हित में है | सरकार भी देश में कोरोना संक्रमण की सही स्थिति जान सकेगी और तदनुसार इससे निपटने की कारगर योजना भी बना सकेगी |
घर में रहकर भी कुछ सावधानियाँ बरतना अति आवश्यक हैं –
1. प्रति एक डेढ़ घंटा के अंतराल पर हाथों को साबुन से धोते रहें तथा तभी आँख, नाक, मुँह को छुयें |
2. जहाँ तक संभव हो घर में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें क्योंकि हम-आप नहीं जानते कि हम संक्रमित हैं या नहीं |
3. ठण्डे पदार्थों के सेवन से बचें, गरम पानी पियें तथा गरम पदार्थों का सेवन करें |
4. 24 घंटे में कम से कम एक बार नमक डाल कर गरम पानी से गरारे करें |
5. बाहर से आने वाली वस्तुओं में दूध को सुरक्षित समझा जा सकता है क्योंकि ये उबाल लिया जाता है |
6. सब्ज़ियों व फलों को पानी से अच्छी तरह धोयें | यदि नमक पड़ा और 30 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया हुआ पानी ले सकें तो और भी अच्छी बात है |
7. पैकेट्स (बिस्कुट, ब्रेड आदि) को उस कपड़े या रूमाल से अच्छी तरह पोंछ लें जिसे डिटॉल के पानी में डुबो कर निचोड़ लिया गया हो |
8. न्यूज़ पेपर को गरम इस्तिरी (प्रेस) कर के इस्तेमाल करें |
9. यदि बाहर जाना अपरिहार्य है तो लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए मास्क, चश्मा और कैप पहन कर जायें | बाहर किसी वस्तु या सरफेस को न छुयें | प्रत्येक व्यक्ति से छै: फिट की दूरी बनाकर रखें | किसी भी सम्भावना को समाप्त करने के लिए घर वापस आकर आप ऊपरी वस्त्रों के साथ मास्क, कैप, चश्मा तथा अपने हाथों को अच्छी तरह धोकर साफ कर लें |
अंत में कुछ महत्वपूर्ण बातें, वो ये कि आपत्ति के इस समय में –
– पशु-पक्षियों (गाय, कुत्ता, चिड़ियाँ आदि) का ध्यान रखें | उन्हें नियमित दाना पानी डालें |
– ज़रूरतमंदों की भोजन, राशन व पैसों से मदद अवश्य करें |
– डॉक्टर, स्वास्थ्य-कर्मी, सफाई-कर्मी तथा पुलिस के साथ सहयोग करें व उनका आभार व्यक्त करे |
– प्राइम मिनिस्टर केयर फण्ड में यथा सामर्थ्य दान दें |
प्रधानमंत्री को भरोसा है कि कोरोना से इस युद्ध में विजय हमारी ही होगी अतः हम सब मिलकर लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करके उनके भरोसे को पुष्ट करें | “जान है तभी जहाँ है…वरना सब व्यर्थ है”|

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