मैं भारत हूं

मोहम्मद सलीम खान, सीनियर सब एडिटर-आईसीएन ग्रुप

सहसवान/बदायूं: भारत विश्व के प्राचीन देशों में से एक देश है। विशाल हिमालय  इस देश की सरहदों का निगहबान है और गंगा जमुना नदियां इसकी (पवित्रता )की निशानी है। अनेकता में एकता इसका जेवर (आभूषण )हया और लज्जा  इसके  वस्त्र हैं, और धर्मनिरपेक्षता(secularism) इसकी रूहू (आत्मा) है। भारत माता के मातृत्व का कोमल आंचल इतना वसी यानी विशाल है  कि इसकी ममता के आंचल तले विभिन्न प्रकार के  धर्म  जाति पंथ एवं संप्रदाय  तथा  विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोलने वाले गोरे और काले लोग इसकी गोद में पलते हैं। यह अपने बच्चों के साथ  ना धर्म के आधार पर  न जाति के आधार पर  ना पंथ और  संप्रदाय के आधार पर  न भाषा के आधार पर  न लिबास के आधार पर  और ना रंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करती है। इसी मां को हम भारत माता कहते हैं।इस देश का इतिहास हजारों वर्ष से गौरवपूर्ण रहा है। अतिथि देवो भव: इसका कर्म है और मानवता की सेवा करना  इसका धर्म है ।इस देश ने अपने स्वर्णिम काल में विभिन्न प्रकार की घटनाएं देखी हैं सतयुग में श्री रामचंद्र जी का अविस्मरणीय और अपने आप को गौरवान्वित करने वाला काल भी देखा है तथा मौर्य वंश गुप्त  वंश मुगल वंश गुलाम वंश सैयद वंश  सूरी वंश ब्रिटिश साम्राज्य तथा अनेक राजपूत राजा  महाराजाओं का दौरे हुकूमत भी देखा है ।अलग-अलग दौर में अलग अलग राजा महाराजाओ तथा बादशाहो ने इस देश में अपने अलग अलग अंदाज में हुकूमत की।  अशोका द ग्रेट चंद्रगुप्त मौर्य राजा हरिश्चंद्र राजा विक्रमादित्य शिवाजी महाराज  टीपू सुल्तान मुगल सम्राट  अकबर  द ग्रेट मुगल सम्राट शाहजहां और बहादुर शाह जफर  जैसे शासकों ने हमारे इस अजीम (महान)मुल्क हिंदुस्तान को अपने सीने से लगा कर रखा और इसकी आन बान और शान को बनाए रखने के लिए अपना सारा जीवन न्योछावर कर दिया और इसी महान राष्ट्र भारत की खुशबूदार मिट्टी में अपनी अस्थियों की  राख को मिला दिया और इस देश से बेपनाह मोहब्बत करने वाले बादशाहों ने भी इसी देश की मिट्टी में अपने आप को दफन कर लिया। यह अजीम (महान) मुल्क हिंदुस्तान इतिहास में घटी हुई  घटनाओं को खुद अपने आप कुछ इस तरह बयान करता है कि “मेरे चाहने वालों ने  मुझसे बेपनाह मोहब्बत की और मुझे दुल्हन की तरह सजा कर रखा और जालिमों ने मुझे लूटा बर्बाद किया और वक्त वक्त पर मेरी रूह को जख्मी किया।” मोहनजोदड़ो भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता है। भारत में स्थित भव्य  धार्मिक स्थल खजुराहो के मंदिर राजस्थान के  किले के समान भव्य भवन अमृतसर में स्थित गोल्डन टेंपल तथा मुगल काल में बनी हुई भव्य एवं  ऐतिहासिक इमारतें जैसे दिल्ली की जामा मस्जिद दिल्ली का लाल किला आगरा का लाल किला और आगरा के फतेहपुर सीकरी में स्थित बुलंद दरवाजा दिल्ली में स्थित   मुगल  सम्राट हुमायूं का मकबरा और आगरा में स्थित मुगल बादशाह  शाहजहां और उनकी मलिका मुमताज महल की मोहब्बत की निशानी विश्व प्रसिद्ध ताजमहल इस महान राष्ट्र भारत के गौरवपूर्ण इतिहास का वर्णन आज भी करती हैं। ताजमहल की सुंदरता एवं लोकप्रियता का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व के तमाम देशों के राष्ट्र अध्यक्ष या प्रधानमंत्री जब सरकारी दौरे पर हमारे देश भारत में आते हैं तो वह ताजमहल का दीदार करने से अपने आप को नहीं रोक पाते और ताजमहल की सुंदरता के चर्चे केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है जो कि हमारे लिए और हमारे देश भारत के  गौरव की बात है।  इस देश ने न जाने कितने ही युद्ध के  दंश को झेला है। यह देश महाभारत का युद्ध  प्लासी का युद्ध बक्सर का युद्ध प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के उन दुखद एवं दिल दहलाने वाले क्षणों का भी साक्षी है। इस देश ने ऐसे दुखद एवं पीड़ादायक क्षण भी देखे हैं जब उसी की छाती पर उसी के लालो का बेरहमी से खून बहाया गया। जब एक मां को उसके बच्चे से अलग कर दिया जाता है या उसके बच्चे की निर्दयता से हत्या कर दी जाती है तो उस मां की स्थिति एक चलती फिरती लाश की तरह हो जाती है तो कल्पना कीजिए उस भारत माता की जिसके बच्चों का सदियों से बेरहमी से खून बहता रहा है और आज भी उसके बच्चे आपस में सांप्रदायिकता की आग में अपने आप को  झांककर अपनी ही भारत माता की रूह को जख्मी कर रहे हैं।भारत आजाद होने से पहले न जाने कितने ही हुक्मरानों ने इस देश से प्रेम किया और कुछ हुक्मरानों ने इस देश की रूह को जख्मी किया। अब हम उस दौर के कुछ जालिम और दुष्ट शासकों से क्या शिकायत करें वह तो गैर थे उन्हें यहां की मिट्टी से कोई लगाव नहीं था। हुकूमत करने आए थे और हुकूमत करके चले गए। हम सब तो इसी भारत माता की संतान हैं तो फिर मां के प्रति हमारा  वह प्रेम उस वक्त कहां चला जाता है कि देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंक कर इसी देश के  बच्चों को और इसी देश की सरकारी व  निजी संपत्ति  को आग के हवाले कर देते हैं। वासुदेवाय कुटुंब शब्द की हमारी वह संस्कृति कहां विलुप्त हो जाती है जिसमें कहा गया है कि संपूर्ण विश्व एक कुटुंब (परिवार) के समान हैं। सांप्रदायिकता नामक दानव ने इस महान मुल्क हिंदुस्तान को तोड़ने की बहुत कोशिश किन्तु इस देश के  नागरिक इतने  सहिष्णु एवं सभ्य हैं कि वे इस  दानव की कोशिश को नाकाम कर देते हैं। जिस तरह से एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है ठीक उसी तरह से कुछ असामाजिक तत्व खुशगवार माहौल में जहर घोलने का काम करते हैं और भारत के गौरव को कलंकित करने का नाकाम प्रयास करते हैं। निसंदेह मुझे एक ऐसे देश का नागरिक होने पर गर्व है जिस देश की धरती पर श्री रामचंद्र जी,श्री कृष्ण जी, हजरत निजामुद्दीन रहमतुल्लाह अलेह,ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलेह, श्री गुरु नानक देव जी, श्री गुरु तेग बहादुर जी, श्री गुरु गोविंद सिंह जी स्वामी विवेकानंद जी और सर सैयद अहमद खान जैसी महान आत्माओं ने जन्म लिया और समाज का उद्धार करने के लिए समाज सेवा में अपना संपूर्ण जीवन व्यतीत कर दिया। मैं अपने इस आर्टिकल के द्वारा समाज को एक संदेश देना चाहता हूं कि निसंदेह हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं यदि हिंदू मुस्लिम सिख और ईसाई के ईश्वर अलग-अलग होते तो जिस तरह से अलग-अलग कंपनी की बनाई हुई कार मोटरसाइकिल या अन्य उपकरण के बनावट में माइलेज में और अन्य फीचर्स में एक दूसरे से भिन्न होते हैं ठीक उसी तरह हमारे भी मालिक अगर अलग-अलग होते तो  हमारे भी शरीर के फीचर्स और बनावट अलग अलग होती कोई ईश्वर चार आंख का मनुष्य बनाता तो कोई और ईश्वर चार पैर का या चार हाथ का मनुष्य बनाता और खून का रंग तो निसंदेह सबका अलग अलग ही होता। हमारे शरीर के आंतरिक व  बाहरी शरीर के अंगों की संरचना इस बात की दलील है कि हम सबका ईश्वर एक है और संपूर्ण  ब्रह्मांड के रहने वाले लोग आपस में भाई-भाई हैं। जिस तरह से इस लेख में ऊपर जिन महान आत्माओं का वर्णन किया गया है उन्होंने इस समाज में बुराई केवल और केवल अच्छे अमल करके दुष्ट लोगों की ईर्ष्या को भी प्रेम में बदल दिया हम नहीं जानते कि समय के गर्भ में क्या छुपा है कौन व्यक्ति कब सीधी राह से भटक जाए और कौन व्यक्ति कब भटकी हुई रह से  सीधे रास्ते पर आ जाए हमें केवल अपना कर्म करना है ।लोगों के दिलों के हाल बदलना या ना बदलना यह केवल और केवल ईश्वर के हाथ में है। लेख के अंत में मैं एक  वाकिया (घटना) का जिक्र करना चाहूंगा जो मैंने कई  धार्मिक विद्वानों से सुना है कि जब अल्लाह के नबी या ईश्वर के द्वारा भेजे गए शांति दूत हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को नमरूद बादशाह ने आग में डालने का हुक्म दिया तो एक चिड़िया अपनी चोंच में चंद बूंदे पानी की भरकर लाती और आग में डाल देती वह बार-बार आग को बुझाने का प्रयास कर रही थी उसके साथ की और चिड़ियों ने उस पर हंसते हुए कहा यह तू क्या बेवकूफी कर रही है क्या तेरी लाई हुई पानी की चंद बूंदों से यह भयंकर आग बुझ जाएगी। चिड़िया ने इसके जवाब में कहा बेशक मेरे द्वारा लाई गई पानी की चंद बूंदों से यह आग नहीं बुझेगी लेकिन कल कयामत के दिन जब मेरा रब मुझसे यह पूछेगा कि मेरा नबी जलाया जा रहा था उस वक्त तूने क्या किया तो मैं अपने रब को यह जवाब दे सकूंगी कि मैंने अपनी हैसियत के मुताबिक आग को बुझाने की पूरी कोशिश की हालांकि वह आग बाद में अल्लाह के हुक्म से हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के लिए गुले गुलजार हो गई। ठीक इसी तरह से हमें भी उस चिड़िया से सबक लेते हुए इस समाज में फैली हुई बुराइयों को रोकने के लिए अपनी अपनी हैसियत के हिसाब से कोशिश करना चाहिए अंजाम तो आखिरकार ईश्वर के ही हाथ में है।

यह लेखक के अपने विचार हैं यदि इस लेख में कोई त्रुटि हो तो उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं।

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