स्वर्ग में बीवी

By: Akhil Kumar Srivastava, Bureau Chief-ICN U.P.

बचपन से त्याग तपस्या और सादगी वाला जीवन व्यतीत करता रहा हूँ, जीवन में सदा अच्छे काम करना तथा लोगों में भलाई करना यही कर्म रहा हैं, उद्देश्य यही है कि स्वर्ग की प्राप्ति हो।

स्वर्ग के प्रति एक उत्सुक्ता हमेशा से ही रही है। हो भी फिर क्यों न स्वर्ग तो स्वर्ग ही है। कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार स्वर्ग की प्राप्ति हो ही गई। बड़ी खुशी हुई कि हमारा उद्देश्य सफल रहा।

प्रभु ने हमारी सुन ही ली, और मृत्यु उपरान्त सीधे स्वर्ग का दरवाजा खुला। अन्दर पहुंचा ही था कि वहां के सेवादार ने मेरी स्वर्ग में बड़ी ही खातिरदारी की। मन प्रसन्न हो गया। प्रसन्न होना ही था, क्योंकि मेरी मुराद जो पूरी हो गयी। स्वर्ग पहुंचे मात्र एक घण्टा ही हुआ था कि सेवादार ने मुझे एक और स्वर्गवासी से भेट कराने के लिए कहां। मैं बड़ी ही उत्सुकता से अभिन्न व्यक्ति का इन्तजार करने लगा। इतने में क्या देखता हूँ कि मेरी बीवी मेरे सामने खड़ी थी। ऐसा लगा जैसे मेरे पैर से मेरा स्वर्ग खिसक गया हो।

सेवादार ने बताया आपकी मृत्यु के उपरान्त आपकी पत्नी उस सदमे को बर्दाश्त न कर सकी और उसे भी मृत्यु की प्राप्ति हुई और वो सीधे आपके साथ स्वर्ग को आ गयी। मैनें सेवादार से कहा कि ये कहां का न्याय है। मैनें जीवन भर इस स्वर्ग को पाने के लिए कितनी कड़ी तपस्या की। और मेरी बीवी तो इतनी आसानी से आ गयी। सेवादार ने बताया आपको स्वर्ग की प्राप्ति में आपकी पत्नी का बड़ा ही योगदान रहा है।

पत्नी की लगातार प्रताड़ना सह-सह कर आपको मृत्यु की प्राप्ति हुई और इसीलिए आपको स्वर्ग मिला। इसलिए इस स्वर्ग की प्राप्ति में आपकी पत्नी का श्रेश्ठ योगदान है। मैं सोच रहा था कि क्या मैं इसी स्वर्ग की कामना कर रहा था। इससे अच्छा तो वह नरक लोक ही था। जहां बीवी की प्रताड़ना सहनें की क्षमता प्रदान करने वाले अभिन्न मित्र तो थे। पर यहां तो केवल पत्नी है।

मैं चाह कर भी स्वर्ग में आत्महत्या करने के बारे में नहीं सोच सकता था क्योंकि वहां पर इस तरह का कोई कान्सेप्ट ही नहीं था। कुल मिलाकर सारे दरवाजे बन्द हो चुके थे। सिर्फ उस स्वर्ग में भी नरक भोगने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था।

मेरे साथ जो हुआ वह और किसी के साथ न हो, इसलिए मैं अपने मित्रो को यही सन्देश देना चाहता हूँ कि किसी स्वर्ग की कोई कल्पना न करें। अपनी बीवी से परेशान होकर आत्महत्या जैसा कुछ करने का भी प्रयास न करें क्योंकि इससे भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला।

बेहतर यही है कि इस मृत्युलोक में बीवी के साथ ही रहकर स्वर्ग को मुंह चिढ़ाते रहें और कहें कि यहां मैं ज्यादा खुश हूँ।

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