मेट्रो के सुरक्षा चक्र से कुछ भी अछूता नहीं!

लखनऊ। मेट्रो की अत्याधुनिक जांच तकनीकों से कुछ भी अछूता नहीं रह सकता। यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर एक अत्याधुनिक और सुलभ मास रैपिड ट्रांसपोर्ट का साधन मुहैया कराया जा रहा है। लखनऊ मेट्रो प्रवक्ता के अनुसार अगर किसी कारणवश किसी यात्री का कोई सामान मेट्रो परिसर या ट्रेन के भीतर छूट जाता है तो मेट्रो टीम जल्द से जल्द उसके सही हकदार तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करती है। मेट्रो स्टेशनों पर लगे थ्रेट इमेज प्रोटेक्शन (टीआईपी) सॉफ्टवेयर से यह पता लगाया जाता है कि सुरक्षाकर्मी कितनी तत्परता से अपना काम कर रहा है और मशीन के अंदर से गुजरने वाली सामग्री की ठीक ढंग से जांच हो रही है या नहीं। यह साफ्टवेयर समय-समय पर बिना किसी निर्धारित पैटर्न के खतरनाक या संदिग्ध वस्तुओं (जैसे बंदूक या चाकू इत्यादि) की फाल्स इमेज जेनरेट करता है और इन्सपेक्शन मशीन पर बैठे सुरक्षाकर्मी को उस इमेज पर क्लिक करते हुए यह सुनिश्चित करना होता है कि उसने उस इमेज को देख लिया है और इसके बाद मशीन से निकालकर उस संदिग्ध सामग्री की ठीक तरह से जांच करनी होती है। अगर सुरक्षाकर्मी द्वारा इस इमेज को नजरअंदाज किया जाता है तो यह रेकॉर्ड में दर्ज हो जाता है, जिसकी नियमित अंतराल पर जांच होती रहती है। यही नहीं मशीन से गुजरने वाली धातु का घनत्व कितना भी अधिक हो, उसमें लगे एक्स-रे सिस्टम से उसकी भी इमेज जेनरेट की जा सकती है। लखनऊ मेट्रो के सिक्योरिटी सिस्टम में इस्तेमाल हो रही इन मशीनों के 35 मिमी. तक मोटी धातु की वस्तु का भी एक्स-रे लिया जा सकता है। ये मशीनें 50 हजार तक इमेज स्टोर कर सकती हैं और साथ ही, एक घंटे में 300 बैगों की जांच कर सकती हैं।

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