बठिंडा। पंजाब के मालवा क्षेत्र को राज्य के कॉटन बेल्ट के तौर पर जाना जाता है। हालांकि, इस इलाके में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि इस साल दिल्ली-एनसीआर वालों की चिंता जरूर बढ़ा सकती है। 9 नवंबर तक प्रदेश के दूसरे हिस्सों की तुलना में इस क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।वायु प्रदूषण से जूझ रहे दिल्ली और एनसीआर के लोगों के लिए यह बहुत बुरी खबर है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पहले ही हवा की गुणवत्ता बहुत खराब स्तर पर है। इस सर्दी के मौसम में पराली जलाने के कारण यहां हवा की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। 9 नवंबर तक 2017 में 40,510 पराली जलाने के केस थे, जबकि इस साल 9 नवंबर तक ऐसे 39,973 केस सामने आए हैं, जो पिछली बार के मुकाबले सिर्फ 537 कम है। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर की तरफ से यह आंकड़ा जारी किया गया है।2016 में पंजाब में पराली जलाने की 70,208 केस हुए थे। तमाम कोशिशों और प्रशासन की सख्ती के बाद पिछले साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी देखी गई। 2017 में पराली जलाने के कुल 43,660 केस ही हुए थे जो एक साल पहले के मुकाबले करीब 40 प्रतिशत कम हुए थे। दूसरी तरफ, इस साल 9 नवंबर तक यह आंकड़ा 39,973 तक पहुंच गया है। पिछले साल के कुल पराली जलाने की घटनाओं से यह सिर्फ 3,687 केस ही कम है। अनुमान के अनुसार अभी भी पंजाब में फसल का 20 प्रतिशत से अधिक पराली जलाने का काम बचा हुआ है। इस आधार पर माना जा रहा है कि पिछले साल की तुलना में इस बार पराली जलाने के केस ज्यादा हो सकते हैं। मालवा में 7 जिले- बठिंडा, मंसा, मुक्तसर, फजिलका, फिरोजपुर, मोगा और फरीदकोट हैं। पिछले साल पूरे प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में से अकेले इस क्षेत्र में 52.5 फीसदी घटनाएं हुई थीं। इस क्षेत्र में पराली जलाने की संख्या में हुई वृद्धि दिल्ली-एनसीआर की हवा के लिए बहुत परेशान करने वाली बात है।
पंजाब के मालवा में पराली जलाने के केस बढ़े
