न्यायालय को ही लेना पड़ा दूरस्थ में मरीजों को डोली और कुर्सी में ढोने का संज्ञान!

अमित पाण्डेय, स्पेशल कोरेस्पोंडेंट-ICN उत्तराखण्ड
“धूल फांक रही 61 एम्बुलेंस को तैयार कर रहा स्वास्थ्य विभाग! 61 एम्बुलेंस को किया जा रहा फैब्रिकेट!
अगर वजह बड़ी हो और मजबूत इच्छाशक्ति हो तो बड़े से बड़ा काम भी चंद दिनों, या घंटो में हो जाता है! इसका ताजा उदाहरण आप देख सकते है उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग में! वजह बड़ी थी आदेश मा0 उच्च न्यायालय का जो था और मानना मजबूरी थी! जिस चीज को धरातल में उतारने में प्रशाशन को इतना वक्त लग रहा था उसको कल ही हुये आदेश के बाद आज तुरंत धरातल पर उतारा गया है!”धूल फांक रही 61 एम्बुलेंस को तैयार कर रहा स्वास्थ्य विभाग! 61 एम्बुलेंस को किया जा रहा फैब्रिकेट! पहले राउंड में तैयार हुई 4 एम्बुलेंस पहुँची निदेशालय! पौड़ी-अल्मोड़ा भेजी जाएंगी 2-2 एम्बुलेंस! अगले राउंड में तैयार होंगी 8 नई एम्बुलेंस!”अब सबसे बड़ा सवाल है यहां कि स्वास्थ्य विभाग इतना उदासीन रवैया लेकर क्यों चलता है जबकि इसका सीधा सीधा प्रमाण हमारे सामने है कि विभाग के पास पूरी क्षमता थी इस कार्य को करनी की और अगर रवैया उदासीन नही होता तो ये वाहन बहुत पहले से ही धरातल पर चलने शुरू हो जाते और कई जाने भी बच सकती थी!
तो सवाल है कि क्यों ये सरकारी विभाग अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ कर खड़े रहते है?

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