“वो बंदर”

आलोक सिंह, न्यूज एडिटर, ICN Group

नैनीताल। रोज़ की ही तरह मैं और राज दा अपने भुजीयाघाट स्थित मंत्रा कैफ़े में लूडो खेल रहे , तभी न जाने वो बंदर (नाम दे देते हैं, मारुति) हमारी टेबल पर आकर बैठ गया और देखते ही देखते लूडो की सभी गोटियां और पासे को खा लिया, मारुति कुछ परेशान सा था , वो पड़ोस के होटल में घुस गया और वहां शराब पी रहे ग्राहकों के तभी बनाये हुए 4 पेग जो नीट थे गटक गया, वहां से दौड़ाया गया तो फिर हमारे कैफ़े में आकर इधर उधर गिरने लगा, गौर से देखने पर समझ आया कि उसके सिर पर एक गहरा घाव था जो शायद उसके सिर पर किसी सरिया के वार से आया था जो पड़ोसी ने अपने यहाँ से भगाते वक़्त मारुति के सिर पर दे दिया था, अबतक नशे और घाव से उसकी हालत गंभीर होती जा रही थी।

इतना ही होता तो भी गनीमत थी, लेकिन क्या देखते की सामने जंगल से और बंदरो ने लामबंदी शुरू कर दी थी, ये एक घुसपैठिये को घेरकर मारने की तैयारी थी, इसको शायद मारुति ने भी भांप लिया था और वो चुपचाप हमारे कैफ़े में दुबक कर बैठ गया लेकिन नशा उसपर अब हावी होने लगा था, और सिर पर लगी चोट आग में घी का काम कर रही थी.

मारुति फिर निकल कर सामने से जा रही नैनीताल रोड पर भागा तो आस पड़ोस वाले उस पर पत्थर मारने लग गए, ये देख मुझसे रहा न गया और मैं उन लोगों को रोकने के लिए भागा और कड़े स्वर में उनको पीछे किया , इतने में बंदरों का पूरा झुंड उसको निपटाने की तैयारी से आगे बढ़ा, बाकी लोगो को उनको रोकने का निर्देश देकर मैं मारुति की तरफ लपका, अब मारुति मूर्छित होने लगा था और तेजी से काँपने लगा था , अफ़रातफ़री में पानी मंगाया गया और मारुति को पानी से नहलाया गया, तब कुछ उसकी सांसे वापस आयीं।

उसको बचाने के प्रयास तेज करने के लिए मैने सोशल मीडिया का सहारा लिया और हल्द्वानी ऑनलाइन 2011 नामक एक ग्रुप पर पोस्ट किया रेस्क्यू सेन्टर का संपर्क जानने हेतु एवं सूचित करने हेतु।

लेकिन मारुति की बिगड़ती हालत देखते हुए उसे एक कार्टन में डाल कर स्थानीय मज़दूर की मदद से हम अपनी गाड़ी से रानीबाग रेस्क्यू सेंटर भागे,

यकीन जानिए वो 7-8 मिनट का रास्ता इतना लंबा कभी नही लगा , वहां पहुंचकर हमने जैसे ही गेट पर सूचित किया कि हम एक घायल बन्दर(मारुति) को लाये हैं, हमको उन्होंने अपनी थोड़ी ऊपर स्थित उपचार कक्ष तक ग्रीन कॉरिडोर दे दिया।

गाड़ी उपचार कक्ष के बाहर लगते ही तुरंत ही वहां ड्यूटी पर उपस्थित फार्मासिस्ट भरत मासीवाल, बिना किसी विलंब के तुरंत इलाज शुरू कर दिया, सबसे पहले मारुति सामान्य करने के साथ उसके सिर पर लगी चोट को सैनिटाइज  एवं दवाई से साफ किया और इंजेक्शन से पानी वगैरह पिलाया गया।

मारुति अब सामान्य होने लगा था और भरत बताया कि वो अब खतरे से बाहर है शाम तक पुर्णतया सामान्य हो जायेगा।

जिस तरह से रेस्क्यू सेन्टर ने मारुति को बचाने में चुस्ती दिखाई वो मिसाल है उन अस्पतालों के लिए जहां इंसानों के इलाज होते हैं।

भरत मासीवाल को अनेक अनेक साधुवाद।

मारुति की जान बच चुकी थी और मेरी जान में जान आ चुकी थी।

ये एक सुखद अनुभूति थी कि ज़िन्दगी में एक नेक काम शायद और जुड़ गया।

मारुति तुमने आज फिर ज़िन्दगी को एक वजह दी।

 

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