“आपने डीपी बदली क्या???”

आलोक सिंह ( न्यूज़ एडिटर-आई.सी.एन. ग्रुप ) 

आज शहीद दिवस है, आज ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जी को शहादत मिली थी,और उस रोज उनके चेहरे पर रत्ती भर शिकन न थी अलबत्ता अफसोस ज़रूर था कि देश आजाद न देख सके, एक तरह से ठीक ही हुआ, अगर आज के हालात देख पाते तो द्रवित होते की किनके लिए वो सूली पर चढ़ गए।

आज के समय में ये दिन दो तरीके से देखे जाते हैं

  • आपने डीपी बदला की नही
  • और देशभक्ति का आडंबर

दोनो ही सूरतों में आप सिर्फ खुद को ही बेवकूफ बनाते हैं या यूं कहें कि ये सोचकर प्रफुल्लित होते हैं कि मैंने अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह कर लिया,

लेकिन क्या सच में ???

क्योंकि आपने सिर्फ अपने को उस होड़ में शामिल करने की दौड़ लगाई जिसमें आप जैसे सैंकड़ों पहले से दौड़ रहे हैं, उनके लिए देशभक्ति फैशन और डीपी बदलना एक औपचारिकता, महज़ खुद की उपस्थिति दर्ज कराने भर की।

आईये अब आडंबर की बात करते हैं,

वो सभी स्वन्त्रता के सिपाही जो देश पर जान न्योछावर कर गए , भले उनके विचारधाराएँ अलग रही हों लेकिन ध्येय एक ही था अंग्रेजों से मुल्क को स्वाधीन कराना और उन्होंने अपने अपने चयनित रास्तों से इसे  अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लिया।

लेकिन ये क्या ???

आज तो साहब इनका भी बटवारा हो गया है… कोई वामपंथियों का तो कोई भगवा , कोई समाजवादी तो कोई राष्ट्रवादी हो गया, आज की संकीर्ण सोच ने इन्हें भी एक चोगे में न रहने दिया, सबने अपने निहित स्वार्थ के लिए इन्हें भी बांट लिया और अपनी अपनी घटिया राजनीति का सरपरस्त बना लिया, बिना ये सोचे कि क्या ये अधिकार उन्हें कभी मिलता अगर वो स्वयं होते??? शायद कभी नही।

लेकिन आप क्यों फिक्र कर रहे हैं, आपको इन सब से क्या , कुछ नही रखा है, आप भी बिला वजह दिमाग लगाने लग गए,

आप तो साहब बस डीपी बदलिये और खुश रहिये वो तो दीवाने थे देश के लिए और हो गए क़ुर्बान देश पर, लेकिन!!!

“आपने डीपी बदली क्या???”

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