नई दिल्ली। प्रिवेसी के समर्थकों ने देश में मजबूत डेटा प्राइवेसी कानूनों की जरूरत बताई है। अमेरिका में पिछले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ब्रिटेन की डेटा अनैलिसिस फर्म कैम्ब्रिज ऐनालिटिका के पांच करोड़ से अधिक फेसबुक यूजर्स के प्रोफाइल में सेंध लगाने की रिपोर्ट आने के बाद इन कानूनों को लेकर बहस शुरू हुई है।
डेटा प्रिवेसी का समर्थन करने वालों ने बताया कि मतदाताओं की व्यक्तिगत जानकारी को उनकी स्वीकृति के बिना इस्तेमाल कर उनकी राय को निशाना बनाया जा सकता है। वकील अपार गुप्ता ने कहा, सरकार ने डेटा सुरक्षा + को लेकर जरूरी कदम नहीं उठाए हैं। चुनाव आयोग ने रेग्युलेटरी स्क्रूटनी के लिए डेटा सुरक्षा के मुद्दे पर विचार नहीं किया है। हालांकि, चुनाव आयोग ने चुनाव में निष्पक्षता को बरकरार रखने, एग्जिट पोल पर बंदिशें लगाने को लेकर गाइडलाइंस जारी की हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
गुप्ता ने आशंका जताई कि भारत में मतदान की प्रक्रिया पर भी अमेरिका जैसा असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि कैम्ब्रिज ऐनालिटिका की वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि कंपनी ने भारतीय राजनीतिक दलों के साथ भी काम किया है। वेबसाइट के मुताबिक, 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में चुनावी विश्लेषण के लिए कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था और उस चुनाव में कैम्ब्रिज ऐनालिटिका के लक्ष्य वाली कुल सीटों में से 90 पर्सेंट से अधिक पर कंपनी के क्लाइंट की भारी जीत हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स में कैम्ब्रिज ऐनालिटिका और इसकी भारतीय पार्टनर ओवलेनो बिजनेस इंटेलिजेंस के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ओवलेनो 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए कॉन्ट्रैक्ट करने के मकसद से देश के बड़े राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर रही है।
गुप्ता ने कहा, इससे चुनावों की निष्पक्षता का पता चलता है और मतदाताओं का विश्वास डेटा ऐनालिटिक्स के जरिए प्रभावित किया जा सकता है और मतदाताओं को उनके व्यक्तिगत डेटा के आधार पर निशाना बनाया जा सकता है।
सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी के पॉलिसी डायरेक्टर प्रणेश प्रकाश ने कहा कि भारत में एक मजबूत डेटा सुरक्षा रेग्युलेशन की जरूरत है। इसके जरिए डेटा के साथ डील करने वाली कंपनियों को डेटा की सुरक्षा को लेकर जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया, उदाहरण के लिए अमेरिका में हुए मामले में कैम्ब्रिज ऐनालिटिका और फेसबुक पर गंभीर आरोप हैं।
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वहां के किसी कानून के तहत उन्हें अपराधी ठहराया जा सकता है या नहीं। पर्सनल डेटा के इस्तेमाल को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। हालांकि, फेसबुक ने बताया है कि उसके डेटा बेस में कोई सेंध नहीं लगी है और कंपनी लोगों की इनफॉर्मेशन की सुरक्षा का काफी ध्यान रखती है।