ट्विपरालैंड पर मुश्किल में बीजेपी, सहयोगी दल ने किया प्रदर्शन

अगरतला। त्रिपुरा में पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में 25 सालों के वामपंथी शासन को उखाड़ फेंकने के बाद सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें शुरू हो गई हैं। त्रिपुरा की बिप्लव देब सरकार में सहयोगी दल इंडिजीनियस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के हजारों कार्यकर्ताओं ने अलग राज्य ट्विपरालैंड की मांग को लेकर रविवार को नई दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में राज्य सरकार के एक मंत्री भी शामिल हुए।
आईपीएफटी के प्रदर्शन में शामिल होने से त्रिपुरा में दोनों ही दलों के बीच समीकरणों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि बीजेपी ने आईपीएफटी के साथ गठबंधन के समय स्पष्ट किया था कि अलग ट्विपरालैंड का गठन उनके अजेंडे में नहीं है। वहीं विपक्षी दलों ने आईपीएफटी के प्रदर्शन में शामिल होने पर सवाल उठाया है।
बता दें, बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से पहले आईपीएफटी के साथ गठबंधन किया, जो अलग आदिवासी राज्य की मांग करता रहा है। इस गठबंधन के जरिए बीजेपी ने राज्य की 31 फीसदी आबादी और करीब 20 फीसदी आदिवासी आरक्षित सीटों पर मजबूत पकड़ बनाई थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विजयरथ पर सवार होकर लेफ्ट के त्रिपुरा के सबसे मजबूत किले को भी ढहा दिया। राज्य की 60 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
बीजेपी ने अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा छूते हुए 36 सीटों पर जीत दर्ज की। बीजेपी के लिए त्रिपुरा की यह जीत इस वजह से भी मील का पत्थर है, क्योंकि पार्टी ने यहां शून्य से शिखर तक का सफर तय करते हुए 25 साल से सत्तारूढ़ माणिक सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया है। बीजेपी ने अपनी सहयोगी आईपीएफटी के साथ कुल 44 सीटों पर जीत दर्ज की। आईपीएफटी ने नौ सीटों पर चुनाव लड़ा और और लगभग आठ प्रतिशत मत हासिल किए।

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