एसएससी पर बिफरी संसदीय समिति, कहा- सरकार दे दखल

नई दिल्ली। पिछले चार सालों में एसएससी परीक्षा धांधली के कारण रद्द करनी पड़ी है। इसके अलावा कई गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही हैं। इससे न सिर्फ इस संस्थान की साख बुरी तरह प्रभावित हुई है, देश के करोड़ों छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है और सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। संसद में पेश एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग के मामलों पर सुझाव देने के लिए बनी स्थाई समिति की रिपोर्ट में एसएससी की पूरी कार्यशैली कठघरे में खड़ी की गई है।
छात्रों का आंदोलन
एसएसएसी के काम-काज पर संसद में यह कठोर रिपोर्ट ऐसे समय में पेश की गई है, जब इसकी ओर से आयोजित परीक्षा में धांधली का आरोप लगा कर देश के हजारों छात्र आंदोलन पर हैं। दिल्ली सहित यह आंदोलन देश के दूसरे राज्यों तक फैल गया है। छात्रों का आरोप है कि एसएससी की परीक्षा में गलत तरीके से सेटिंग की जा रही है।
सवालों के घेरे में एसएससी 
इससे पहले एसएससी ग्रेजुएट लेवल की परीक्षा को लेकर भी सवालों के घेरे में रहा है। परीक्षा में सफल होने के बावजूद 10,000 से अधिक छात्र की अब तक नियुक्ति नहीं हो पाई है। इस मसले पर भी छात्र बीच-बीच में आंदोलन पर बैठते रहे हैं। दबाव में आकर एसएससी की अनुशंसा पर सीबीआई ने परीक्षा में धांधली की जांच शुरू भी कर दी है। संसदीय समिति ने इस बात के लिए भी लताड़ लगाई कि एसएससी पर आज की तारीख में 2,220 कोर्ट केस हैं, जिनमें अधिकतर परीक्षा से जुड़े ही हैं।
संस्थान में बहुत कम कर्मचारी
संसदीय समिति ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि पिछले दस सालों में एसएससी के जिम्मे बीस गुना अधिक छात्रों की परीक्षा लेने की जिम्मेदारी बढ़ गई, लेकिन पूरे संस्थान में कर्मचारियों की संख्या और कम हो गई। अभी संस्थान में 481 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि 115 पद खाली हैं, जबकि 4 साल पहले ही पदों की संख्या में 30 फीसदी वृद्धि की अनुशंसा की गई थी। समिति ने कहा कि इतने कम कर्मचारियों के बदौलत करोड़ों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न पत्र लीक होने के मामले बढ़े
रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले 5 सालों में परीक्षा रद्द होने के सबसे अधिक कारण प्रश्न पत्र लीक होना रहा है। 5 परीक्षाओं में पेपर लीक हुए, तो 3 में सामूहिक नकल तक के मामले आए। साल 2016 के बाद ऑनलाइन परीक्षा लेने पर तकनीकी कारणों से भी परीक्षा रद्द हुई। इस कारण लगभग 50 लाख छात्रों का भविष्य एसएससी के कारण प्रभावित हो रहा है। समिति ने एसएससी को पूर्ण स्वायत्तता देने की वकालत भी की है।

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