विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए सीबीआई रखेगी अपना पक्ष

नई दिल्ली। आज लंदन के वेस्टमिनिस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में विजय माल्या के प्रत्यर्पण के मामले की सुनवाई के लिए भारत अपना पक्ष रखेगा। इसमें भारत यह तर्क देगा कि सीबीआई द्वारा माल्या के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 161 के तहत रिकॉर्ड किए गए स्टेटमेंट स्वीकार्य हैं।जनवरी में हुई पिछली सुनवाई के दौरान माल्या के वकील क्लैयर मॉन्टगोमरी ने भारत द्वारा पेश किए गए डॉक्युमेंट और सबूतों पर उनकी स्वीकार्यता को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ये सबूत भारत के कानून के मुताबिक भी मान्य नहीं हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया, यह ट्रायल स्टेज नहीं है बल्कि एक प्रत्यपर्ण की सुनवाई है जहां सीआरपीसी की धारा 161 के तहत रिकॉर्ड किए गए स्टेटमेंट काफी हैं। सीबीआई को इसके लिए ट्रायल की तरह मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत रिकॉर्ड किए गए स्टेटमेंट की जरूरत नहीं है। प्रत्यर्पण की सुनवाई में 161 के तहत जांचकर्ता के सामने दिए गए स्टेटमेंट ही काफी हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कोर्ट में पेश होने वाले क्राउन प्रॉसिक्युशन सर्विस के वकील मार्क समर भी कोर्ट को बताएंगे कि माल्या ने यूके के फ्रॉड ऐक्ट 2006 के तहत जुर्म किया है। अपना पक्ष मजबूत करने के लिए मार्क सबूतों के आधार पर यह बता सकते हैं कि किस तरह माल्या ने सरकारी बैंकों से झूठ बोला और कर्ज लेते समय गलत जानकारियां दीं।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, कोर्ट सबूतों की स्वीकार्यता पर अगले कुछ दिनों तक सुनवाई करेगी जिसके बाद जून के अंत विजय माल्या पर कोई फैसला दिया जा सकता है। सीबीआई को उम्मीद है कि विजय माल्या का भारत प्रत्यर्पण हो जाएगा क्योंकि उसने भारतीय बैंकों को धोखा देने के बाद यूके में अवैध रूप से पैसा पहुंचाने का दोहरा अपराध किया है।

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