लखनऊ में निकली डॉक्टर्स की ‘साइकिल यात्रा’

डॉ. प्रांजल अग्रवाल ( असिस्टेंट एडिटर-आई सी एन ग्रुप ) 

लखनऊ: रविवार 11 मार्च 2018, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सभी चिकित्सकों ने रिवर बैंक कॉलोनी स्तिथ आई.एम.ऐ. भवन से ले कर शहीद स्मारक तक और फिर वापस आई.एम.ऐ. भवन तक ‘साइकिल यात्रा’ निकली | देश भर में क्लीनिकल इस्टेबलिश्मेंट एक्ट व नेशनल मेडिकल कौंसिल बिल जैसे जनविरोधी कानून बनाने के खिलाफ चिकित्सकों के समूह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा ‘साइकिल यात्रा’ निकाल कर विरोध जताया जा रहा है |

लखनऊ आई.एम.ऐ. के अध्यक्ष प्रो. सूर्यकांत व सचिव प्रो. जे.डी. रावत की अगुवाई में आयोजित इस साइकिल यात्रा में लखनऊ के सभी चिकित्सकों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया | सुबह ही सभी चिकित्सक आई.एम.ऐ. भवन पर अपनी साइकिल सहित एकत्रित हो गए, जहाँ से  अध्यक्ष प्रो. सूर्यकांत के साथ एन.एम.सी. बिल के विरोध में नारे लगाते हुए शहीद स्मारक तक गए | शहीद स्मारक पर एकत्रित होकर सभी चिकित्सकों ने सभा की, तत्पश्चात वापस आई.एम्.ऐ. भवन की तरफ प्रस्थान किया |

इस मौके पर आई.एम.ऐ. लखनऊ के अध्यक्ष प्रो. सूर्यकांत ने कहा की आई.एम.ऐ. द्वारा नेशनल मेडिकल कमीशन के विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर 25 फरवरी, 2018 से भारत यात्रा का शुभारम्भ किया जा चुका है जिसका समापन 25 मार्च को दिल्ली में होगा | इसी के अंतर्गत 11 मार्च से भारत के कोने-कोने से साइकिल यात्रा की शुरुआत की गयी है जो कि भारत के विभिन्न प्रदेशों से गुजरते हुए 25 मार्च को इंदिरा गाँधी स्टेडियम, दिल्ली में एक महापंचायत के रूप में समाप्त होगी | इस कार्यक्रम में पूरे भारतवर्ष से 31 प्रदेशों के अंतर्गत 1700 आई.एम.ऐ. शाखाओं के 325000 से अधिक चिकित्सक भाग लेंगे और नेशनल मेडिकल कमीशन जोकि गरीबों के विरुद्ध एवं अमीरों के लिए वरदान है, उसका क़ानून के दायरे में रहते हुए शांतिपूर्ण विरोध करेंगे | साइकिल यात्रा एवं महापंचायत कार्यक्रम में देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के छात्र-छात्राएं भी हिस्सा लेंगे |

आई.एम.ऐ. उत्तर प्रदेश के निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. ऐ.एम. खान ने कहा की उत्तर प्रदेश के लगभग सभी 75 जिलों में मौजूद आई.एम.ऐ. सदस्य चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, विभिन्न अस्पताल संचालक व मेडिकल छेत्र में कार्यरत कर्मचारी प्रदेश भर में आज कोने-कोने से साईकल यात्रा निकाल कर नेशनल मेडिकल कमीशन और क्लीनिकल इस्टेबलिश्मेंट एक्ट का विरोध जता रहे हैं |

उन्होंने कहा की कम दरों पर स्वास्थ्य सेवा मिलना आम आदमी की आवश्यकता है, और ऐसे जन-विरोधी क़ानून जो की आम जनता को कम दरों पर स्वास्थ्य सेवाएँ मिलने में दिक्कत करे, उसका आई.एम.ऐ. के सभी सदस्य आखिरी दम तक विरोध करेंगे |

आई.एम.ऐ. लखनऊ के सचिव प्रो. जे.डी. रावत ने कहा की आज के दौर में सबसे ज्यादा आवश्यकता मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू कराने की है | उन्होंने कहा के आजकल डॉक्टर्स एवं नर्सिंग होम्स पर हमले आये दिन की खबरे हो चली हैं, ऐसे में सरकार को मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट जो पहले से ही मौजूद है, को उचित ढंग से लागू कराना, जनहित में सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए |

लखनऊ में निकली इस यात्रा में मौजूद आई.एम.ऐ. लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पी.के. गुप्ता ने कहा की सभी मेडिकल एव पैरामेडिकल छात्र एवं छात्राओं का भी साईकल यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान है | उन्होंने कहा की आई.एम.ऐ. राष्ट्रीय स्तर पर अपने नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडकर की अगुवाई में सभी मेडिकल एवं पैरामेडिकल्स के अलावा स्टूडेंट्स को भी संघटित कर रहा है | उन्होंने कहा की क़ानून जनता को सहूलियत देने के लिए बनने चाहिए, न की परेशानियाँ देने के लिए |

साइकिल यात्रा में उत्तर प्रदेश नर्सिंग होम्स एसोसिएशन, एवं लखनऊ नर्सिंग होम्स ओनर्स एसोसिएशन के सदस्य एवं डॉ. विजय कुमार, डॉ.जी.पी. सिंह, डॉ. रुखसाना खान, डॉ. सरिता सिंह, डॉ. संजय निरंजन, डॉ मनीष टंडन, डॉ. अलीम सिद्दीकी, डॉ. वारीजा सेठ, डॉ. सुमीत सेठ, डॉ. प्रांजल अग्रवाल, डॉ. संजय सक्सेना, डॉ ऋतू सक्सेना, डॉ. ऐ.पी. दुबे, डॉ. अतुल शुक्ला, डॉ. हेमंत कुमार, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. सुनील कुमार सिंह, डॉ. सुहैल खान व अन्य ने हिस्सा लिया |  इस अवसर पर समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि भी साइकिल यात्रा में डॉक्टरों की मांगों के समर्हन में साइकिल यात्रा में शामिल हुए जिस्मी प्रमुखता से रोटरी क्लब लखनऊ से डॉ. हाशमी एवं उनकी टीम, व्यापार मंडल के प्रतिनिधि, वकीलों के प्रतिनिधि, के.जी.एम्.यू. के छात्र संघ और कर्मचारियों ने भी भाग लिया | 

एन.एम.सी. बिल आखिर है क्या ?

१. मौजूदा इंडियन मेडिकल कौंसिल एक्ट १९५६ के अनुसार एलोपैथिक मेडिसिन के चिकित्सक होने के लिए न्यूनतम योग्यता एम.बी.बी.एस. होनी चाहिए | एन.एम.सी. बिल लागू होने के बाद मौजूदा कानून (इंडियन मेडिकल कौंसिल एक्ट १९५६) समाप्त माना जाएगा और साथ ही एलोपैथिक मेडिसिन के चिकित्सक होने के लिए न्यूनतम योग्यता एम.बी.बी.एस. नहीं रह जायेगी |

२. आयुर्वेदिक, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा एवं होमियोपैथी की योग्यता रखने वाले चिकित्सक भी एलोपैथिक मेडिसिन में अपना पंजीकरण करा सकेंगे एवं एलोपैथिक दवाएं लिख सकेंगे | इससे एक तरफ चिकित्सकों की गुणवत्ता में ख़ास कमी आएगी बल्कि चिकित्सा छेत्र में इसके दुशपरिणाम भी देखने पड़ेंगे

३. इस बिल के लागू होने के बाद मौजूदा स्नातकोत्तर (पी.जी.) कोर्सेज जो की केवल एम.बी.बी.एस. डिग्री धारक चिकित्सकों के लिए होते थे, उन्हें आयुर्वेदिक, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा एवं होमियोपैथी की योग्यता रखने वाले चिकित्सक भी कर सकेंगे | मौजूदा समय में जितनी भी पी.जी. सीटें देश में हैं, उनसे कई गुना ज्यादा एम.बी.बी.एस. डिग्री धारक पी.जी. प्रवेश परीक्षा में भाग लेते है | जब इतनी ही सीटों में अन्य चिकित्सा पद्द्यती के आयुष डॉक्टर्स भी इसी परीक्षा में भाग लेंगे और आरक्षण आदि का फायदा उठाते हुए एम.बी.बी.एस. धारक के बजाय आयुष डॉक्टर्स इन सीटों पर पी.जी. कर सकेंगे, तो ज़रा सोचिये की क्या होगा उन होनहार छात्रों के मनोबल का जिन्होंने इतनी महनत कर इतने साल खर्च कर एम.बी.बी.एस. की डिग्री हासिल की |

४. मौजूदा समय में एम.बी.बी.एस. में एडमिशन लेने से पूर्व एंट्रेंस टेस्ट देना तो किसी से अछूता नहीं था, लेकिन इस बिल के लागू होने के बाद एम.बी.बी.एस. की तमाम परीक्षाओं के अलावा, भारत के किसी भी मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. करने के बाद, एक एग्जिटपरीक्षा अलग से देनी होगी, तभी आप भारत में एम.बी.बी.एस. चिकित्सक माने जायेंगे |

५. प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में सरकार का केवल 40 प्रतिशत सीटों पर नियंत्रण रह जाएगा जो की मौजूदा समय में 85 प्रतिशत है | इस से सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मनमानी फीस वसूले जाने लगेगी |

६. मौजूदा समय में विदेश से एम.बी.बी.एस. की डिग्री ले कर आने वाले छात्रों को एम.सी.आई. स्क्रीनिंग टेस्ट देना होता था, जिससे यह ज्ञात हो सके की उन्हें भारतीय चिकित्सा व्यवस्था के अनुकूल ज्ञान है की नहीं | पर, एन.एम.सी. बिल आ जाने के बाद ऐसा कुछ भी नहीं रहेगा | यानी वो डॉक्टर्स देश के बाहर से डिग्री ले कर आयेंगे, उन्हें भारत में प्रैक्टिस करने के लिए किसी परीक्षा से नहीं गुज़रना पड़ेगा, वहीँ दूसरी ओर, अपने ही देश में अपने ही देश की प्रवेश परीक्षा उतीर्ण करने के बाद, अपने ही देश के मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. करने के बाद, अपनी ही देश में सेवा करने के लिए एग्जिटपरीक्षाओं जैसे चक्रव्यूह से गुजरना होगा |

७. गैर चिकित्सा छेत्र के सदस्यों को मेडिकल गवर्नेंस की सबसे प्रमुखतम संस्थाओं के उच्चतम स्थानों पर इस बिल के लागू होने के बाद बिठा दिया जाएगा

८. भारत के सभी चिकित्सक अपनी ही संस्था नेशनल मेडिकल कौंसिल, (मौजूदा मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया) के केवल ५ सदस्यों को चुनाव द्वारा चुन पायेंगे |

९. आज के समय पर चिकित्सा छेत्र में तमाम ऐसी समस्याएं हैं जिन पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा | इसी में एक बड़ी समस्या है झोलाछाप डॉक्टर | झोलाछाप चिकित्सकों से एक तरफ जहाँ गलत इलाज मिलने से मरीज की हालत बिगड़ने के खतरे हैं वही दूसरी तरफ सामान्य चिकित्सा व्यवस्था की गिरती हुए प्रतिष्ठा का ख़तरा बना रहता है | इस कड़ी में अन्य चिकित्सा पद्दति जैसे आयुर्वेदिक, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा एवं होमियोपैथी की योग्यता रखने वाले चिकित्सक भी यदि केवल 3-6 माह का कोई कोर्स करके एलोपेथिक मेडिसिन में प्रैक्टिस शुरू कर देंगे, तो ज़रा सोचिये की कोई एम.बी.बी.एस. आखिर करेगा ही क्यों? प्रवेश परीक्षा से ले कर, निकास परीक्षा तक, बीच में हज़ारों लेक्चर, क्लासेज, सेमिनार, प्रैक्टिकल, वाईवा, मैन्युअल, क्लिनिकल पोस्टिंग, इवनिंग ड्यूटी, नाईट ड्यूटी, इमरजेंसी ड्यटी, हर साल सैकड़ों परीक्षाएं, और जाने क्या क्या झेलने के बाद एक व्यक्ति एक चिकित्सक में तब्दील होता है, इस सब में लाखों रूपए से ले कर ५-६ साल का समय भी लग जाता है | दूसरी तरफ एक व्यक्ति जो की एम.बी.बी.एस. चिकित्सक जितना योग्य शायद नहीं था, इसलिए अन्य चिकित्सा पद्दति जैसे आयुर्वेदिक, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा एवं होमियोपैथी में डिग्री होने के बावजूद एक सामान्य सा 3-6 माह का कोर्स करके आराम से एम.बी.बी.एस. चिकित्सक के बराबर पहुँच जाएगा | कौन करेगा एम.बी.बी.एस. फिर ? सरकारों की दलील हो सकती है की इस बिल से देश में चिकित्सकों की कमी को पूरा किया जा सकेगा लेकिन सच्चाई यह है की कही ऐसा न हो की जो योग्य चिकित्सक मौजूदा समय में देश में हैं, या फिर पढ़ रहे हैं, कहीं वो ऐसे बिगड़ते हालात देख कर देश छोड़ने का मन न बना लें |

१०. सभी राज्य सरकारों का एम.सी.आई. पर अधिकार समाप्त माना जाएगा |

११. सभी राज्यों के चिकित्सा परिषद् सीधा एन.एम.सी. परिषद् के सुपुर्द हो जायेंगे

१२. सभी चित्कित्सा विश्वविद्यालयों का कोई अस्तित्व एन.एम.सी. बिल के लागू होने के बाद एन.एम.सी. में नहीं रहेगा |

       

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