पिछड़े जिलों में दी जाए युवा अधिकारियों को तैनाती: पीएम मोदी

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि एक जमाना था, जब देश में हर वक्त राजनीति होती थी। अब वक्त बदला है, आप सत्ता में हैं या विपक्ष में हैं, यह महत्वपूर्ण हो गया है कि आप जनता के लिए कितना काम करते हैं। अब सिर्फ मोर्चा निकालने से ही जनता का समर्थन नहीं मिलता। आम लोग अब इस नजरिए से सोचते हैं कि हमारे जीवन में बदलाव के लिए कौन लोग हमारे साथ हैं। संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि हमारा संविधान दुनिया में विशेष है।
देश के 115 पिछड़े जिलों के विकास की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यदि इनका सुधार हो गया तो देश का विकास अपने आप हो सकेगा। यदि किसी राज्य में कुछ जिले बहुत अच्छा कर सकते हैं तो इसका मतलब है कि सूबे में क्षमता है। लेकिन, कुछ पीछे रह गए हैं तो हमें उनका भी ध्यान देना चाहिए। राज्य या भारत सरकार जब लक्ष्य तय करते हैं तो आसानी से नतीजे देने वालों पर जोर दिया जाता है। इसके चलते जो अच्छा करते हैं, वे तेजी से आगे बढ़ते हैं। लेकिन, जो पिछड़ जाते हैं वो और पीछे चले जाते हैं।
पिछड़े जिलों में लगाए जाएं युवा अधिकारी 
आमतौर पर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर्स की औसत आयु 28 से 30 साल तक होती है। लेकिन, कई बार पिछड़े जिलों में अधिक आयु के डीएम को लगाया जाता है। हमें तय करना होगा कि ऐसे 115 जिलों में हम उन्हीं अधिकारियों को लगाएं, जिनमें जज्बा है और कुछ कर सकते हैं। यदि ऐसे जिलों में अफसरों की तैनाती होती है तो कहते हैं कि कहां भेज दिया? यह साइको ही समस्या की जड़ है। कई बार एक ही जैसे संसाधनों में अलग-अलग जिलों की स्थिति अलग होती है। इसकी वजह संसाधनों की कमी नहीं है बल्कि प्रयासों में कमी है।
बैकवर्ड की नहीं फॉरवर्ड की प्रतिस्पर्धा करनी है
पीएम मोदी ने कहा कि देश में सबसे बड़ी समस्या बैकवर्ड का साइको है। हम सोचते हैं कि यह जिला तो पिछड़ा है, हम पिछड़े जिले से हैं। ऐसा सोचना गलत है, हमें बैकवर्ड नहीं बल्कि फॉरवर्ड की होड़ करनी चाहिए। मोदी ने कहा कि रेलवे में फर्स्ट, सेकंड और थर्ड क्लास थी, लेकिन बाद में रेलवे ने थर्ड क्लास के नाम को हटा दिया। इसकी वजह थर्ड क्लास के साइको से बाहर निकलना था। ऐसा ही पिछड़े जिलों के मामले में भी है।
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