वॉशिंगटन। आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोशी, जिन्होंने न सिर्फ इमारतें बल्कि संस्थान भी बनाए, को प्रित्जकर आर्किटेक्चर प्राइज से सम्मानित किया गया है। यह आर्किटेक्चर की दुनिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। बुधवार को पुरस्कार की घोषणा की गई। पुणे में जन्में 90 वर्षीय दोशी, यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय हैं।
दोशी के नाम का ऐलान करते हुए जूरी ने कहा, ‘सालों से, बालकृष्ण दोशी ने ऐसे डिजाइन बनाए जो गंभीर हैं, कभी भड़कीले नहीं रहे और ट्रेंड से हटकर थे। जिम्मेदारी और अपने देश के निवासियों के लिए कुछ करने की चाह के साथ उन्होंने पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन और उपयोगिता वाले प्रॉजेक्ट्स, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थान, प्राइवेट क्लाइंट्स के लिए घर बनाए। मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर के स्टूडेंट रहे दोशी ने 1950 के दशक में दिग्गज लि कॉब्र्यूजेर कंपनी के साथ काम किया। इसके बाद वह भारत वापस आ गए।
फर्नीचर बनाता था दोशी का परिवार
बी.वी. दोशी ने सन् 1955 में अपना स्टूडियो ‘वास्तु-शिल्प’ बनाया और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद के डिजाइनिंग कैंपस में लुई खान और अनंत राजे के साथ काम किया। इसके अलावा वह बेंगलुरु, लखनऊ, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, इंस्टिट्यूट ऑफ इंडॉलजी सहित भारत के कई परिसरों में वह डिजाइनिंग के लिए गए। दोशी का परिवार फर्नीचर बनाता था। एक इंटरव्यू में खुद दोशी ने कहा था कि उन्हें आर्किटेक्चर से जुड़ी शुरुआती प्रेरणा उनके दादाजी के घर से मिली थी।