शोपियां गोलीबारी मामला: मेजर आदित्य पर महबूबा सरकार का यूटर्न, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई जांच पर रोक

जम्मू। सुप्रीम कोर्ट ने 10 गढ़वाल राइफल्स के मेजर आदित्य के खिलाफ अगली सुनवाई तक किसी तरह की जांच पर रोक लगा दी है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल निश्चित की है। इस बीच जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मेजर आदित्य कुमार का नाम आरोपियों के कॉलम में शामिल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में महबूबा मुफ्ती का यह जवाब यूटर्न जैसा है।

इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर के शोपियां में हुई गोलीबारी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 10 गढ़वाल राइफल्स के मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी थी। कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकारों को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब मांगा था।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शोपियां फायरिंग मामले में मेजर आदित्य के खिलाफ केस दर्ज किया था। मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह (रिटायर्ड) ने सेना के खिलाफ एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। साथ ही अब सरकार के जवाब से मामले में नया मोड़ आ गया है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने 24 अप्रैल तक शोपियां गोलीबारी मामले में जांच के साथ इसमें मेजर आदित्य की भूमिका या कमी की जांच पर भी रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मेजर आदित्य एक आर्मी अफसर हैं और उनके साथ साधारण अपराधियों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता। यद्यपि सरकार के कोर्ट में यह कहने के बावजूद कि मेजर का नाम आरोपियों में शामिल नहीं है, कोर्ट ने कहा कि मेजर आदित्य का नाम एफआईआर के सार में है इसलिए उन्हें किसी भी समय इसमें शामिल किया जा सकता है।

अपनी रिपोर्ट में सरकार ने यह भी कहा कि आर्मी ने उनके पत्र का कोई जवाब नहीं देती है, और पूछा कि क्या वे कानून से ऊपर हैं या फिर उन्हें किसी को मारने का लाइसेंस हैं?

एफआईआर पर बीजेपी और पीडीपी के बीच दिखी थी दरार

उस वक्त सेना की यूनिट के खिलाफ एफआईआर पर जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी गठबंधन के दोनों घटकों- बीजेपी और पीडीपी में भी दरार देखने को मिली थी। बीजेपी नेता और डेप्युटी सीएम निर्मल सिंह ने कहा था कि मेजर आदित्य का उत्पीडऩ नहीं होने देंगे। सेना ने भी अपनी यूनिट के खिलाफ एफआईआर को गलत बताया था। सेना का कहना था कि शोपियां में जवानों ने आत्मरक्षा में फायरिंग की थी।

पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) वी. पी. मलिक ने भी मेजर आदित्य के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को वापस लेने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि एक सैनिक को खुद की रक्षा करने का अधिकार है और जम्मू-कश्मीर पुलिस का मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ मामला दर्ज करने का फैसला बेवजह और गलत है।

क्या है मामला

बता दें कि 27 जनवरी को शोपियां के गनोवपोरा गांव में पथराव कर रही भीड़ पर सैन्यकर्मियों के गोली चलाने से 2 आम नागरिकों की मौत हो गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घटना की जांच के आदेश दिए थे। मेजर आदित्य कुमार सहित गढ़वाल रायफल्स के 10 कर्मियों के खिलाफ रणबीर दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और307 (हत्या की कोशिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

एफआईआर दर्ज करने के खिलाफ मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह (रिटायर्ड) ने सेना के खिलाफ एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मेजर आदित्य के पिता की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया कि गढ़वाल राइफल्स में उनके बेटे को एफआईआर में गलत तरीके से नामजद किया गया।

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