प्रो. सत्येन्द्र कुमार सिंह ( न्यूज़ एडिटर-आई.सी.एन. ग्रुप )
देश में १९ राज्यों में कमल खिलने का सफ़र उत्तर पूर्व में भी जारी रहा और आज आए चुनावी नतीजों ने भाजपा को सीधे २१ राज्यों में सत्तारूढ़ होने का मौका दे दिया| त्रिपुरा में सीपीआई-एम के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा के शासन के २५ साल को आज विराम मिला| ज्ञात हो कि त्रिपुरा में भाजपा का अपना काउंसिलर भी नहीं था और २०१३ के चुनाव में उसे २% से भी कम वोट मिले थे| इस बार उसके सहयोगी दल आई.पी.एफ.टी. को जहाँ ७ सीट मिले वही सबको चकित करते हुए भाजपा ने २३ सीट प्राप्त किया| इतना बुरा प्रदर्शन बाम दल का १९९८ में भी नहीं हुआ था जब वह कांग्रेस एवं त्रिपुरा उपजाती जुबा समिती से हारी थी|
पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा की जीत को नरेन्द्र मोदी की लहर और उनकी नीतियों की विजय बताया जा रहा है| यह बात अलग है कि अभी मेघालय की स्थिति स्पष्ट नहीं है किन्तु भाजपा का दावा है कि वह वहाँ भी अन्य पार्टियों का समर्थन लेकर सरकार बना लेगी| अगर ऐसा हो गया तो भी अचम्भे की कोई बात नहीं होगी क्योंकि भाजपा पिछले वर्ष मणिपुर एवं गोवा में ऐसी ही परिस्थिति में सरकार बनाने में सफल हुई थी|
जीत के बाद भाजपा कार्यलय में भारत माता की जय के नारे लगने लगे| विगत कुछ समय से भाजपा के कई बड़े नेता लगातार उत्तर पूर्व में जाते रहे हैं और २०१४ में नरेन्द्र मोदी ने जो उत्तर पूर्व के विकास के मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठाई थी, अब उसका परिणाम दिखने लगा है|
चुनाव परिणाम के बाद एक ओर कांग्रेस ने भाजपा पर धनबल का प्रयोग करने का आरोप लगाया वही भाजपा ने अपनी जीत को भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपने संघर्ष का परिणाम बताया| सीताराम यचूरी ने कहा कि उनकी पार्टी इस हार के कारणों का विश्लेषण करेगी और इसे सही करने के लिए उपयुक्त कदम उठाए जाएंगे|
कुल मिला कर यह चुनाव परिणाम और देश में राज्यवार सत्ता में काबिज होती भाजपा के लिए यह ख़ुशी का अवसर है| साथ ही इस बात की जिम्मेदारी भी है कि राज्य और केंद्र में उसकी सरकार होने से विकास में तेजी दिखाई दे| विपक्षी दलों को अपनी नीतियों में आमूल परिवर्तन करना होगा और एक कुशल एवं सक्षम नेतृत्व के अधीन एक जुट होना होगा वरना वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उनकी राह कठिन प्रतीत हो रही है|