नई दिल्ली। कभी मौसम की मार तो कभी बाजार में कम कीमत से बदहाल किसानों की दशा सुधारने के लिए विशेषज्ञों ने आय सुरक्षा कानून बनाने का सुझाव दिया है। विशेषज्ञों ने किसानों को पेंशन की सुविधा देने की मांग भी की है। साथ ही उन्होंने कृषि में इस्तेमाल होने वाले सभी इनपुट और उपकरणों पर जीएसटी की दर घटाकर शून्य करने की भी मांग की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ मंगलवार को कृषि और संबंद्ध क्षेत्रों पर के दौरान उन्होंने यह बात कही। आम बजट 2018-19 की तैयारियों में जुटी सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों की बजट से अपेक्षाओं और सुझावों पर चर्चा शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत कृषि क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ ही शुरु हुई। वित्त मंत्री से मिलने नॉर्थ ब्लॉक पहुंचे कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन के महासचिव बी. दसरथ रामी रेड्डी ने कहा कि किसानों, बटाईदारों और कृषि श्रमिकों के लिए आय सुरक्षा कानून बनाने की जरूरत है। रेड्डी ने कहा कि वर्ष 2012 में किसानों की औसत मासिक आय करीब 1600 रुपये थी जो जीवन निर्वाह करने के लिए मामूली है। इसलिए देश के कृषक समुदाय की मांग है कि आय सुरक्षा कानून बनाया जाना चाहिए। रेड्डी की यह मांग इसलिए अहम है क्योंकि देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान मात्र 20 प्रतिशत है जबकि यह क्षेत्र तकरीबन आधी आबादी को रोजगार मुहैया कराता है। सरकार एक फरवरी 2018 को अगले वित्त वर्ष का आम बजट पेश करेगी। बजट पूर्व चर्चा के दौर की यह पहली बैठक थी। इसके बाद वित्त मंत्री ने शाम को श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों से भी कामगारों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। अगले कुछ दिनों में वित्त मंत्री औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक करेंगे। पूर्व सांसद और कृषि विशेषज्ञ वाई. शिवाजी ने कहा कि किसानों को पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा देने पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा विशेषज्ञों ने कृषि उपकरणों और इनपुट पर जीएसटी की दर घटाकर शून्य करने तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म करने की मांग भी की। किसान संगठनों ने देश में सिगरेट की तस्करी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि इससे तंबाकू की खेती करने वाले किसानों के हित प्रभावित हो रहे हैं।
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