ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तैयारी

नई दिल्ली । दुनिया के ऊर्जा परिदृश्य में जिस तरह से बदलाव हो रहे हैं, उसे देखते हुए सरकार भी एक समग्र ऊर्जा नीति बनाने में जुटी हुई है। यह संभवत: भारत की पहली समग्र ऊर्जा नीति होगी जिसमें ऊर्जा के सभी स्नोतों यानी कोयला, कच्चे तेल, गैस, बायोमास, पवन, सौर और न्यूक्लियर के माध्यम से भारत को ऊर्जा संसाधनों में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना उद्देश्य होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दुनिया की दिग्गज तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक में इस नीति की झलक दी थी। नीति का सबसे बड़ा लक्ष्य यह होगा कि जब वर्ष 2030-40 तक भारत दुनिया की एक बड़ी शक्ति बने, तब वह अपनी तमाम ऊर्जा जरूरतों को अपने ही संसाधनों से पूरा करने में सक्षम होगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक नई ऊर्जा नीति को तैयार करने में ऊर्जा से संबंधित विभिन्न मंत्रलयों (पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, बिजली, कोयला, रिन्यूएबल) के अलावा विदेश मंत्रलय, वित्त मंत्रलय, वाणिज्य मंत्रलय के साथ लगातार विचार विमर्श चल रहा है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि नई ऊर्जा नीति कितनी व्यापक होगी। निश्चित तौर पर इसका एक अहम उद्देश्य देश की जनता को किफायती दर पर टिकाऊ ऊर्जा विकल्पों को उपलब्ध कराना होगा लेकिन इसका एक बड़ा उद्देश्य यह होगा कि हम आने वाले दिनों में अपनी तमाम ऊर्जा मांग को आंतरिक तौर पर ही पूरा करने में सक्षम हो। वैश्विक स्तर पर भारत जैसी पहचान चाहता है उसे देखते हुए जरूरी है। उदाहरण के तौर पर अभी हम अपनी कुल कच्चे तेल की खपत का 78 फीसद बाहर से आयात करते हैं। इसे बरकरार रखकर भारत वैश्विक शक्ति नहीं बन सकता है। पीएम मोदी ने वर्ष 2022 तक आयातित तेल में 10 फीसद कम करने का लक्ष्य दिया है लेकिन हमें वर्ष 2040 तक इसे घटा कर 50 फीसद करना होगा। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने भी यहां मंगलवार को इंडिया एनर्जी वीक के समापन भाषण में सरकार की नई ऊर्जा नीति के बारे में कुछ संकेत दिए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने दिग्गज तेल कंपनियों के साथ बैठक में भी ऊर्जा नीति पर चर्चा किया है। यह नीति निवेश के माहौल को और आकर्षक बनाएगा। सिर्फ हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में भारत में अगले दस वर्षो में 300 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। सरकार की नई नीति देश को एक गैस आधारित ऊर्जा अर्थव्यवस्था में अहम कदम साबित होगा। इसके लिए सरकार देश में गैस एक्सचेंज प्लेटफार्म बनाने की तैयारी में है। यह एक तरह से घरेलू और विदेशी गैस को एक साथ मिलाकर देश भर में एक ही कीमत पर बेचने की व्यवस्था होगी। इस व्यवस्था के तहत आगे चलकर गैस की कीमत बाजार के आधार पर तय होगी। सनद रहे कि पीएम के साथ बैठक में विदेशी तेल कंपनियों ने इसकी मांग रखी थी। जानकारों के मुताबिक नई ऊर्जा नीति देश की सौ फीसद आबादी को टिकाऊ और किफायती दरों पर बिजली उपलब्ध कराना, हर घर को एलपीजी कनेक्शन से जोडऩे, देश भर में गैस नेटवर्क का विस्तार करने का काम तेज करेगा। लेकिन साथ ही यह भारत में विदेशी कंपनियों को तेल व गैस उत्पादन से लेकर ऊर्जा के खुदरा कारोबार में उतरने और नई तकनीकी लाने के लिए विशेष तौर पर प्रोत्साहन देगा।

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