एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN नई दिल्ली। मेरा परिवार ब्रिटिश दौर की ऐसी मुसलमान रियासत से ताल्लुक रखता है जहां की 90% आबादी मुस्लिम हुआ करती थी और उर्दू शायरी से मोहब्बत का यह हाल था कि ठेले-रिक्शे वाले भी आला-दरजे (उच्च-कोटि) के शेर लिखने-पढ़ने की सलाहियत रखते थे लेकिन मेरे पिताजी शायरी तथा शायरो को सख्त नापसंद करते थे क्योकि उनका मानना था कि मुसलमानो के पिछड़ेपन के लिये जि़म्मेदार कला से जुड़े विषय है क्योकि जब मुसलमान विज्ञान से जुड़े शीर्षको पर शोध-अनुसंधान करते थे तब विज्ञान का मध्यकालीन…
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इंसानियत (मानवता) की अलमबरदार (ध्वजा-वाहक) थी सूफीवादी लेखिका सादिया देहलवी!
एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN नई दिल्ली। सुंदरता़, बुद्धि तथा वीरता जैसे गुण अगर किसी महिला मे हो तो वह रज़िया सुल्तान या इंदिरा गांधी बन जाती है, यद्यपि वह ना तो रज़िया सुल्ताना की तरह वीर, साहसी तथा क्रांतिकारी महिला थी,ना ही वह इंदिरा गांधी की चतुर राजनीतिज्ञ और कुशल प्रशासक थी,किंतु जितना सुंदर उनका चेहरा था उतने सुंदर उनके विचार भी थे अथवा उनके अंतर्मन के अंदर दया-करूणा तथा अमानवीय व्यवस्थाओ को बदलने के लिये परिवर्तन की सरिता बहती रहती थी। मातृभूमि के लिये उनका समर्पण देखते ही बनता था…
Read Moreबाइबल की भविष्यवाणी सच होती हुई : दो-अरब मुसलमान अमेरीकी तानाशाही के खिलाफ चीन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने को लामबंद होते हुये!
एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN And the number of the army of the horsemen were two hundred thousand thousand (20,00,00,000) : and I heard the number of them” (Revelation 9:16) नई दिल्ली। बाइबल का लगभग एक तिहाई हिस्सा भविष्यवाणियों पर आधारित है जिसमे अंतिम समय मे होने वाले अंतिम युद्ध अर्थात जंग-ए-अरमजदून (Armageddon) का विस्तृत संकेत दिया गया है,इसलिये इसाई और मुसलमान बड़ी बेसब्री से हज़रत ईसा की वापसी और यहूदियो के नेता दज्जाल (एंटी-क्राइस्ट) के बीच मे होने वाले संग्राम (लड़ाई) का इंतेज़ार कर रहे है, क्योकि हदीस के एक विशेष…
Read Moreईश्वर सबकी सुनता है।
अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ‘चमन’, सेवानिवृत्त अधिकारी एवं लिटरेरी एडिटर-ICN हिंदी कहानी फैक्ट्री के गेट से बाहर निकलने के बाद महेश लाल गेट के बायीं तरफ स्थित कैण्टीन की ओर मुड़ गए। अपनी जर्जर, खड़खड़िया सायकिल को उन्होंने कैण्टीन की दीवार से टिकायी, कैण्टीन में घुस कर वहॉं अलग-अलग मेजों पर छितराए पड़े अखबार के पन्नों को समेटा और उन्हें ले कर अपने नियत स्थान यानी कोने वाली मेज पर जा बैठे। उनको देखते ही कैण्टीन का नौकर छोटू पानी का गिलास रख गया। उसे चाय के लिए कह कर…
Read Moreकामयाबी किसी भी क़ीमत पर।
मोहम्मद सलीम खान, एसोसिएट एडिटर-आईसीएन सहसवान/बदायूं। ईश्वर ने इस संसार की सृष्टि रचने के साथ-साथ इस संसार को क़यामत तक चलाने के लिए इस धरती पर मनुष्य को पैदा किया और मनुष्य को पैदा करके उसे संसार में अकेला भटकने के लिए नहीं छोड़ दिया बल्कि उसकी मदद करने और उसकी सेवा करने के लिए हजारों की तादाद में अन्य प्रजातियों को पैदा किया। ईश्वर ने मनुष्य को सबसे अफजल (उत्तम) the most favourite मखलूक (प्रजाति) की श्रेणी में रखा और उसकी सेवा के लिए धरती पर विभिन्न प्रकार की सब्जियां…
Read Moreपाकिस्तान के सामने वैचारिक अस्तित्व का संकट
प्रो. प्रदीप कुमार माथुर नई दिल्ली। आज पाकिस्तान गंभीर संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री इमरान खान चाहे कितनी भी बड़ी-बड़ी बातें करें और चाहे चीन से मिलकर भारत के विरुद्ध विश्व में अपना वर्चस्व दिखाने का दावा करें लेकिन वह मन ही मन समझते हैं कि वह उस जर्जर और कमजोर देश के नेता हैं जिसके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग रहा है। पाकिस्तान में आर्थिक और राजनीतिक संकट तो है ही पर यह वैचारिक संकट वर्ष 1970-71 के संकट से भी बड़ा है जब पाकिस्तान विभाजित हुआ और…
Read Moreजॉर्ज-एक हीरो। जो जीरो हो गए।
प्रो. प्रदीप कुमार माथुर नई दिल्ली। वर्ष 1980 के दशक से प्रारंभ हुए आर्थिक उदारवाद के युग में जन्मी और बढ़ी हुई पीढ़ियों के लिए शायद यह समझना बहुत मुश्किल होगा। 1950-60 के दशकों में युवावस्था की दहलीज पर पैर रखने वालों के लिए विरोध का कितना महत्व था। यथा स्थिति और व्यवस्था तथा स्थापित समस्याओं का विरोध करने वाले स्वर बहुत ही सम्मानजनक तथा रोमांचकारी माने जाते थे जिन्हे सामाजिक संचेतना रखने वाला हर युवा अपना आदर्श बनाना चाहता था। वर्ष 1947 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मिली स्वतंत्रता के…
Read Moreबॉलीवुड की यहूदी परियां : एक नज़राना (श्रद्धांजलि)-प्रमिला (Esther Victoria Abraham)
एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN (The Jewish Fairies of Bollywood : A Tribute) नई दिल्ली। बॉलीवुड मे यहूदी अभिनेत्रियो के आगमन से पहले पुरुष कलाकार महिलाओ की भूमिका भी अदा किया करते थे,क्योकि संभ्रांत/सम्मानित परिवारो की महिलाये फिल्मो मे काम (अभिनय) करना दुष्कर्म (पाप) समझती थी,बल्कि सिर्फ राजा-नवाब के दरबार मे नाचने-गाने वाली नर्तकी-गायिका ही फिल्मो मे काम करने का ज़ोख़िम लेती थी।फिर बॉलीवुड से जुड़े परिवारो की महिलाये अपने परिवार के पुरुष सदस्यो की सहायता के नाम पर फिल्मो मे अभिनय करने लगी,किंतु क्रांति तब आई जब कामकाजी महिलाये अधिक…
Read Moreराजस्थान : सचिन पायलट न घर के न घाट के।
प्रो. प्रदीप कुमार माथुर नई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिलहाल अपनी कुर्सी बचाने में सफल हो गए हैं। इस तरह लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के संघर्ष का पहला राउंड जीत लिया है। आगे आने वाले दिनों में क्या होगा इस समय कहना कठिन है। पर जिस तरह से सचिन पायलट को बैकफुट पर आना पड़ा और जिस तरह अपनी रणनीति में असफल होने के बाद बीजेपी के नेताओं को अपना मुंह छिपाना पड़ रहा है, उससे लगता है कि राजस्थान का राजनीतिक संकट फिलहाल टल गया…
Read Moreबढ़ती हुई आबादी मानव जाति के लिये भस्मासुर है! तो जनसंख्या दिवस पर सिर्फ चिंतन-मंथन ही क्यो?
एज़ाज़ क़मर, डिप्टी एडिटर-ICN नई दिल्ली: पिछले तीन दशको से हर 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस के अवसर पर समाचार पत्रो मे बड़े-बड़े विज्ञापन और लेख छपते है,फिर दोपहर से कार्यक्रम शुरू हो जाते है जिसमे बुद्धिजीवी तथा समाज के सम्मानित व्यक्ति जमकर भाषण-बाजी करते है और चाय-नाश्ता या भोजन करने के बाद सब अपने-अपने घर जाकर सो जाते है।इन लोगो का दायित्व था कि घर जाकर अपने परिवृत के मनुष्यो को जनसंख्या नियंत्रण विषय पर शिक्षित तथा प्रशिक्षित करते,लेकिन यह बुद्धिजीवी जनसंख्या नियंत्रण विचार को एक आंदोलन का रूप…
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