प्रो. आर0 के0 यादव, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, चॅं0 शे0 आ0 कृषि एवं प्रौ0 वि0 वि0 कानपुर & एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप कानपुर। आज से छः दशक पहले जब देश में लोगों को पेट भरने के लिए काफी कठिनाई का सामना करना पड रहा था और खेती बहुत कम क्षेत्रफल पर होती थी, उस समय देश का खाद्यान्न उत्पादन 500 लाख टन था। आज यह बढकर लगभग 2900 लाख टन हो गया है। खाद्यान्न के कुल उत्पादन में 13.37 फीसदी हिस्सेदारी गेंहॅूं के रूप में सबसे बडे उत्पादक देश से है।…
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नस्लवाद और हमारी दोगली मानसिकता
एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली। “पृथ्वी पर स्वर्ग” जैसी कल्पना को साकार करने का दावा करने वाली अमेरिकी सरकार का मत है,कि वह दुनिया का सबसे बड़ा समतामूलक, स्वतंत्रतामूलक और न्यायमूलक राष्ट्र है,उसका स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी विश्व की सारी मानव जाति के मानवाधिकारो की रक्षा का प्रतीक है। तरक्की और ताकत के नशे मे चूर अमेरिका चीन, पाकिस्तान, ईरान और तीसरी दुनिया के देशो को मानवाधिकार के नाम पर धमकाता रहता है,उन पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाने की बात करता है,अगर दूसरा देश उसकी बात ना माने तो वह…
Read Moreरक्षा-नीति की संवेदनशीलता और पेड मीडिया की बाज़ीगरी
एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली। कारगिल मे पाकिस्तानी सेना आराम से बंकर बनाते हुये घुसकर बैठ गई थी, लेकिन हमे उसकी भनक तक नही लगी थी, आज सेटेलाइट के युग मे जब हम आसमान से ज़मीन पर चल रही एक छोटी सी चींटी की एक मीटर लंबी पिक्चर बनाकर उसका अध्ययन कर सकते है,फिर भी इतनी तकनीकी प्रगति के बावजूद चीनी सेना तिब्बत मे घुसकर बैठ गयी और हमारी संस्थाएं सिर्फ हाथ मलती रह गई।यद्यपि इस तरह की घटनाओ का आरोप गुप्तचर संस्थाओ के मत्थे मढ़ दिया जाता है,जबकि देश की सुरक्षा…
Read Moreएक फ़िल्म जिसमें एक गीतकार निर्माता बन कर परेशान हो गया
फिल्मों में साहित्य का प्रयोग लम्बे समय से हो रहा हैं , एक फ़िल्म फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी मारे गए गुलफाम पर बनी नाम था तीसरी कसम । गीतकार शैलेंद्र को यह कहानी बहुत पसंद आई और उन्होंने इस पर फ़िल्म बनाने की सोची । इस कहानी को लेकर वो राजकपूर के पास गए उन्हें कहानी तो बहुत पसंद आई लेकिन वो इसकी सफलता के प्रति आस्वस्त ना थे उन्होंने शैलेंद्र को चेताया की इसमें जोखिम हैं लेकिन शैलेन्द्र ठान चुके थे राजकपूर को न चाहते हुए भी शैलेंद्र के…
Read Moreसोनू सूद-ए रियल लाइफ हीरो
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप सोनू सूद फिल्मी दुनिया का कोई महानायक या बादशाह जैसा नाम नहीं है किंतु उसने साबित किया कि वह एक बहुत बड़ा ‘हिंदुस्तानी’ है और उसका हिंदुस्तान मात्र किसी प्रदेश की भौगोलिक सीमाओं अथवा क्षेत्रीय सोच का गुलाम न होकर पूरे देश का सच है। भारतीय फिल्मों में सब संभव है। जो रियल लाइफ में घटता है, वह सब तो इसमें होता ही है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जो रियल लाइफ में कभी नहीं घटता। सच कहा जाये तो फिल्मी…
Read Moreएक फ़िल्म जिसमें देवानंद स्टार नही एक कलाकार बन के काम किया
गाइड देव आनंद की एक कलाकार के रूप में और निर्माता साथ ही नवकेतन की बेहतरीन फ़िल्म थी इस फ़िल्म में उन्हें धन और ख्याति तो मिली हैं उन्हें आत्म संतोष भी मिला। यह फ़िल्म आर. के . नारायण के उपन्यास “द गाइड” पर आधारित थी । इस फ़िल्म को निर्देशित किया था उनके भांजे विजय आनंद ने , पूरी फिल्म की पटकथा को इतना चुस्त दुरुस्त लिखा गया था की इसमें कही कोई खामी नज़र नही आती। मैं जब भी गाइड देखता हूँ कुछ न कुछ नयापन नज़र आता…
Read Moreविश्व तंबाकू निषेध दिवस: धुएँ में स्वाहा होती जिंदगियां।
डॉ अनुरूद्ध वर्मा, एडीटर-ICN वर्तमान समय में तम्बाकू एवँ धूम्रपान की लत पूरे विश्व में जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बनी हुई है और पूरा चिकित्सा जगत समस्या से चिंतित है कि किस प्रकार इससे मुक्ति पाया जाए। तम्बाकू के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणाम एवम उससे होने वाली बीमारियों के कारण पूरी चिकित्सा व्यवस्थाएं चरमरा गईं हैं ।तम्बाकू की वजह से होने वाली बीमारियों से जन हानि के साथ साथ इनके उपचार पर होने वाले अतिरिक्त वित्तीय खर्च से देशों का विकास प्रभावित होता है तथा तम्बाकू जनित…
Read Moreहिंदी पत्रकारिता दिवस: मशाल बनाम कुल्हाड़ी
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है।आज से 187 वर्ष पूर्व 30 मई 1826 को पंडित जुगल किशोर जी ने भारत का प्रथम हिंदी समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन प्रारंभ किया था जो तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के दमनकारी रवैये का शिकार होकर मात्र डेढ वर्ष में ही बंद हो गया किंतु हिंदी पत्रकारिता का सूत्रपात होने के लिये इतना समय भी बहुत था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इस समाचार पत्र को कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर प्रकाशित किया था।वे…
Read Moreफिराक़ गोरखपुरी को क्यो नही काबुलीवाला पसंद आई
धीरज मिश्र (हृदय से किशोर लेखक और फिल्मकार) मुंबई: एक ऐसा लेखक जिन्होंने शुरुआत तो फारसी से की लेकिन जब हिंदी के नज़दीक आये तो उसी के हो कर रह गए। फिराक़ गोरखपुरी ने उर्दू के आधुनिक काव्यधारा को एक प्रवाह दी , सन 1896 की 28 अगस्त को गोरखपुर में अहीरों के मोहल्ले में उनका जन्म हुआ। अपने आस पास हमेशा गरीब मजदुर, मोची, और चरवाहों को ही देखा और अंत तक वैसे ही लोग इनके दिल के करीब रहे , फिराक़ की मूर्खता से सदा दुश्मनी थी वो…
Read Moreभारतीय हरित क्रान्ति के जनक डा0 स्वामीनाथन एवं उनकी सिफारिशें
By:Prof. R K Yadav, Dean,College of Agriculture, Lakhimpur Kheri Campus C.S. Azad Univ. of Agril. & Tech. Kanpur & Executive Editor-ICN Group एक उम्मीद की किरण पिछले कई वर्षो से देश के ज्यादातर राज्यों में किसान आन्दोलन कर रहे है उनकी मुख्य मागें है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होनी चाहिए। सबसे पहले यह जानने की आवश्यकता है कि डा0 स्वामीनाथन कौन है? डा0 स्वामीनाथन को भारतीय हरित क्रान्ति का जनक कहा जाता है। डा0 स्वामीनाथन का पूरा नाम डा0 एम0 एस0 स्वामीनाथन है। इनका जन्म 1925 मेंं कुम्भकोड़म तमिलनाडू में…
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