कोर्ट रूम नहीं होंगे तो क्या बिना काम के जजों को वेतन देगी सरकार

इलाहाबाद। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को 610 न्यायिक अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया जून 2019 तक पूरी कर लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जून में नियुक्ति से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएं जिससे जुलाई 2019 से सभी नवनियुक्त न्यायिक अधिकारी काम करना शुरू कर दें। कोर्ट ने आयोग के सचिव को भर्ती प्रक्रिया की समय सारिणी हलफनामे के जरिए अगली सुनवाई की तिथि 26 सितंबर को दाखिल करने को कहा है।प्रदेश में अदालत भवनों और न्यायिक अधिकारियों की भारी कमी को लेकर दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोसले, जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ कर रही है। राज्य के मुख्य सचिव ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि, 610 न्यायिक अधिकारियों की भर्ती की जा रही है। 371 कोर्ट रूम का निर्माण किया जा रहा है जो जून 2019 तक तैयार हो जाएंगे। बचे हुए 646 कोर्ट रूम बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। जून 2020 तक बजट मिलने पर निर्माण कराया जा सकेगा। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जज होंगे, कोर्ट नहीं होगा तो क्या सरकार बिना काम लिए जजों को वेतन देगी। सरकार के अपर महाधिवक्ता का कहना था कि, कोर्ट भवनों के निर्माण आदि के खर्च केन्द्र व राज्य सरकारें संयुक्त रूप से वहन करती हैं। केन्द्र 60 फीसदी धन मुहैया कराता है जबकि 40 फीसदी धन राज्य सरकार लगाकर काम पूरा करती है। इस पर कोर्ट ने पूछा है कि जनता को न्याय दिलाने के लिए न्याय व्यवस्था करना राज्य का दायित्व है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि अभी तक 1181 अदालतों की जरूरत है। 371 अदालतें बनने के बाद भी 810 कोर्ट रूम बनाने बाकी रहेंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि किराए पर कोर्ट रूम व रिहायशी व्यवस्था की जाए और स्टाफ दिए जाएं जिससे जुलाई 2019 से 3300 न्यायिक अधिकारी न्यायिक कार्य कर सकें। कोर्ट ने सरकार से ठोस प्रस्ताव मांगा है। कोर्ट के निर्देश पर लोक सेवा आयोग के सचिव, प्रमुख सचिव न्याय व प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग व महानिबंधक कोर्ट में मौजूद थे।

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