16 दिसंबर 2012 को देश को हिला देने वाले निर्भया गैंगरेप में इंसाफ का एक और पड़ाव पूरा हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने तीन दोषियों विनय, मुकेश और पवन की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाते हुए सजा ए मौत को बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्भया कांड में दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखने के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि वे नाबालिग नहीं हैं। यह दुख की बात है कि उन्होंने इस तरह के अपराध को अंजाम दिया। यह फैसला कोर्ट के प्रति विश्वास बहाल करता है।पूरे देश के लोगों न्याय मिला है।सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों की याचिका खारिज कर दी है और अब उनकी फांसी की सजा को उम्र कैद में नहीं बदला जाएगा।जनवरी 2013 में कमेटी ने अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को सौंपी थी। फरवरी में सरकार ने सिफारिशों में से कुछ को महिला कानून में शामिल किया था। वैवाहिक बलात्कार और कार्यस्थल पर उत्पीड़न जैसे मुद्दों को आम सहमति के अभाव में संशोधित कानून में शामिल नहीं किया गया था। निर्भया के परिवार के वकील रोहन महाजन ने कहा, ‘यह हमारे लिए विजयी क्षण है। हम फैसले से संतुष्ट हैं।