नई दिल्ली। भारतीय चुनाव आयोग 2019 लोकसभा चुनाव से पहले हर मतदाता को भ्रष्टाचार के खिलाफ पुलिस की भूमिका निभाने की तैयारी कर रहा है। इस योजना को अमलीजामा पहनाने से पहले आयोग की एक टीम इस समय एक मोबाइल एप्लीकेशन पर काम कर रही है। जिसका नाम है ई-नेत्र। अगर कोई नेता आचार संहिता का उल्लंघन करता है या पैसा या शराब बांटने की कोशिश या फिर भड़काउ भाषण देता है तो कोई भी शख्स ऐप के जरिए उसकी शिकायत कर सकता है। सबूत के तौर पर फोटो या वीडियो भी अपलोड करनी होगी।मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया, हमारे आईटी विभाग ने अगले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक एप्लिकेशन तैयार की है। इस एप को पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर आने वाले चार राज्यों (मध्यप्रदेश,राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम) के चुनाव में प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कर्नाटक चुनाव के दौरान बेंगलुरु म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने चुनाव आयोग के लिए इसी एप्लिकेशन तैयार की थी,लेकिन यह चुनाव के कुछ समय पहले ही आ पाई। चुनाव तक इस एप को सिर्फ 800 लोगों ने डाउनलोड किया था। एक महीने के भीतर चुनाव आयोग नई एप्लिकेशन लांच करने वाला है। रावत ने भरोया जताया कि लाखों लोग इस एप को डाउनलोड कर चुनाव आयोग की मदद कर सकते है। इसके जरिए कोई भी व्यक्ति उस घटना की चुपचाप वीडियों बना कर अपलोड कर सकता है। बिना वीडियों के भी शिकायत की जा सकती है,लेकिन चुनाव आयोग को उसके लिए पर्याप्त सबूतों की जरूरत होगी।इसी इंटरव्यू में जम्मू-कश्मीर में चुनाव के बारे में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कश्मीर के मामले में अभी चुनाव आयोग कहीं भी तस्वीर में नहीं है। उन्होंने कहा,सरकार गिर गई है,लेकिन सदन अभी स्थगित है। हम नहीं कह सकते कि कोई नया गठबंधन उभरकर सामने आएगा या नहीं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग उस समय हरकत में आएगा जब सदन भंग हो जाएगा। जहां तक उपचुनाव का सवाल है, सरकार ने फिलहाल एक सर्टिफिकेट जारी किया है,जिसके मुताबिक इलाके में भी चुनाव कराने लायक हालात नहीं हैं। चुनाव आयोग के अधिकारी कश्मीर में काफी मेहनत कर रहे हैं। वीवीपैट पर चुनाव आयुक्त ने कहा कि हम लोग लंबे समय से ईवीएम का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए उस लेकर हम ज्यादा तैयार हैं। इसीलिए ईवीएम के फेल होने का प्रतिशत महज 0.5 से 0.7 प्रतिशत है। वीवीपैट अभी सब लोगों के लिए नया है। हाल के चुनाव में वीवीपैट का फेलियर रेट 11.6 प्रतिशत था। हम वीवीपैट की ट्रेनिंग पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
ई-नेत्र मोबाइल एप से नेताओं पर नकेल लगाने की तैयारी में चुनाव आयोग
