पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 7 जून को नागपुर में संघ के भावी ‘प्रचारकों’ के सामने राष्ट्रवाद पर व्याख्यान देने का न्योता स्वीकार कर लिया है।
नई दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सात जून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जाएंगे और वहां संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। आरएसएस ने सात जून को नागपुर में संघ मुख्यालय पर स्वयंसेवकों के विदाई समारोह पर आयोजित कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति को न्योता दिया है,जिसे पूर्व राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम में दो दिन शामिल होकर 8 जून को नागपुर से वापस लौटेंगे।भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी संघ को सम्मान देते थे। प्रणव वहां जाकर क्या बोलते हैं यह देखना होगा।प्रणब मुखर्जी नागपुर में आरएसएस के उन कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे, जिन्होंने संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास किया है। यह ट्रेनिंग पास करने वाले ही आगे चलकर पूर्णकालिक प्रचारक बनते हैं। सूत्रों के मुताबिक आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मुखर्जी को तब भी न्योता दिया था, जब वह राष्ट्रपति थे। हालांकि मुखर्जी ने तब यह कहते हुए मना कर दिया था कि संवैधानिक पद पर रहते हुए वह इस आयोजन में शामिल नहीं हो सकते हैं।महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध भी लगा था। बाद में आरएसएस ने अपने पॉलिटिकल फ्रंट जनसंघ की सफलता के जरिए खुद को नए रूप में पेश करने की कोशिश की। जनसंघ के ही नेताओं ने आगे भारतीय जनता पार्टी बनाई। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि ‘प्रणव मुखर्जी सांप्रदायिकता और हिंसा को लेकर आरएसएस की भूमिका पर पहले सवाल उठा चुके हैं। आरएसएस को ये बातें बता होंगी। उन्होंने कहा था कि आरएसएस जैसी राष्ट्रविरोधी कोई संस्था नहीं है। इसे देश में नहीं होना चाहिए। राष्ट्रपति के रूप में मुखर्जी कार्यकाल के अंत में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिले थे। मुखर्जी ने भागवत को राष्ट्रपति भवन में दोपहर भोज के लिए भी आमंत्रित किया था।