आई सी एन व सिम्स का संयुक्त ‘एक कदम और’

लखनऊ/16.10.2021 : दो वर्ष से निरंतर वैश्विक महामारी से जूझते विश्व को यह विश्वास दिलाने की आवश्यकता है कि वह गंभीर व अविश्वसनीय क्षति के बावजूद सांसे ले रहा है और अभी तक ज़िंदा है। बहुत ज़रूरी है कि हम अपनी धड़कनों के संगीत को फिर सुने, शिराओं मे बहते खून की रफ़्तार को फिर महसूस करें और अपने मस्तिष्क को गुफ़्तगू करके फिर बतायें कि यह सच है कि हमने बहुत कुछ खो दिया है लेकिन यह भी सच है कि अभी भी हमारे पास बहुत कुछ शेष है। हमें समझना ही चाहिये कि जीवन चलने का नाम है और हर रात के दूसरे छोर पर सुनहरा सवेरा है।

आई सी एन  मीडिया ग्रुप व उसकी सहयोगी संस्था स्कालर इंस्टीट्यूटआफ मीडिया स्टडीज़ (सिम्स) ने जीवन के प्रति इसी विश्वास के पुनर्जागरण हेतु संयुक्त रूप से सकारात्मक इवेंट्स की एक नवीन श्रृंखला एक कदम और (वन स्टेप मोर) प्रारंभ की जिसके प्रथम कदम के रूप में लखनऊ स्थित सिम्स के सभागार में एक विचार व काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें विचार गोष्ठी की अध्यक्षता सिम्स के डायरेक्टर भानु प्रताप सिंह जी ने एवं काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता आई सी एन के एडीटर सी.पी.सिंह जी ने की।

विचार गोष्ठी का प्रारंभ करते हुये तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एक्जीक्यूटिव एडीटर, आई सी एन (साहित्यकार, विधिविशेषज्ञ व लॉ फ़र्म ओनर) ने कहा कि यह समय मृतप्राय समाज की संवेदनाओं को पुनः जीवन देने का है। जब तक हम वास्तव में नहीं मर जाते, हमें मरने का कोई हक़ नहीं है। इस वैश्विक महामारी ने जिन्हें हमसे जुदा कर दिया, हम उनके लिए गंभीर रूप से संवेदित हैं लेकिन समाज का जितना जीवन आज भी जीवित है, उसके लिये यह उत्साह का पर्व है। हममें से कुछ दुर्भाग्यशाली लोग इस महामारी से हार गये लेकिन हममें से करोड़ों लोगों ने इस महामारी को हरा भी दिया। हम फिर चलेंगे, फिर बढ़ेंगे और एक-एक कदम रख कर विश्व के भूगोल पर नयी मंज़िलों का इतिहास रचेंगे।

विचारगोष्ठी के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह (पत्रकार व सेवानिवृत्त ब्यूरोक्रेट) ने सिम्स की कार्य प्रणाली पर प्रकाश डालते हुये कहा कि पत्रकारिता एक बड़ा दायित्व है और विषम व संकटकालीन परिस्थितियों में यह दायित्व और भी बड़ा हो जाता है। पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसे स्किल्ड व विषयानुसार एजूकेटेड पत्रकारों को प्रोड्यूस करने के लिए कटिबद्ध है जो सार्थक पत्रकारिता के माध्यम से समाज के संतुलित विकास के लिए उपस्थित हों।

गौरवेंद्र प्रताप सिन्हा, एडीटर, आई सी एन (सेवानिवृत्त फ़ार्मास्यूटिकल प्रबंधक) ने कहा कि आई सी एन अलग-अलग क्षेत्रों के इंटलेक्चुअल्स का एक ऐसा साझा मंच है जिनमें तमाम भिन्नताओं के बावजूद एक सामान्य तत्व यह है कि वे सब मानवतावादी हैं और अपनी-अपनी निपुणताओं के अनुसार एकजुट होकर आई सी एन के माध्यम से मानवता को सिंचित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड की वैश्विकत्रासदी ने विश्व को दहला दिया है और अब हमारी चुनौतियां व ज़िम्मेदारियाँ, दोनों ही उच्चस्तरीय हो गईं हैं।

अमिताभ दीक्षित, एडीटर, आई सी एन (साहित्यकार, पेंटर, फ़िल्ममेकर) ने कहा कि तमाम गंभीर बीमारियों व सामाजिक उलझनों ने उनके अंदर जीवन के प्रति जिजीविषा को लगभग समाप्त ही कर दिया था और उनकी प्रतिभाओं के फोल्ड लगभग बंद ही हो चुके थे किंतु तभी आई सी एन के रूप में ताजी खुश्बूदार हवा के झोंके ने उनके जीवन में प्रवेश किया और तब उन्होंने पहली बार महसूस किया जीवन कुछ पाने का नाम नहीं है बल्कि यह समाज को कुछ देने का नाम है। जीवन अपने लिये नहीं बल्कि सदैव दूसरों के लिये जीना ही श्रेयस्कर है और आज वे पुनः पूरे उत्साह व शक्ति के साथ अपने सामाजिक व मानवीय दायित्वों के निर्वहन के लिए उपस्थित हैं।

आदर्श श्रीवास्तव, एसोसिएट एडीटर, आई सी एन ( पूर्व रियल एस्टेट विशेषज्ञ) ने कहा कि सच केवल महसूस ही नहीं होना चाहिये बल्कि सच दिखना भी चाहिये। हम हृदय में सच को महसूस करते हैं और अपनी क्रियाओं व कार्यों से उस सच को समाज को दिखाते हैं और तभी हमारे हृदय में पलता सच समाज में परिलक्षित हो पाता है। आई सी एन हृदय में उपस्थित सच को समाज में ज़मीन पर उतारने का सबसे बेहतरीन तरीका है।

सी.पी.सिंह, एडीटर, आई सी एन (साहित्यकार व सेवानिवृत्त बैंकर) ने कहा कि हम जब तक अपनी जड़ों को नहीं थामे रहते हैं, तब तक हमारा विकास आधारहीन है। हमें सदैव सीखने के लिये उत्सुक व उपलब्ध होना चाहिये और अपने गुरुओं, अध्यापकों व टीचर्स के प्रति श्रृद्धा से परिपूर्ण होना चाहिये। हमारे संस्कार हमारा पारस्परिक संबंध दृढ़ करते हैं और हम समवेत रूप में अविश्वसनीय व असंभव दिखते कार्यों को भी आसानी से कर सकते हैं।

कार्यक्रम के संचालक अखिल कुमार श्रीवास्तव अखिल आनंद एडीटर आई सी एन-उत्तर प्रदेश (साहित्यकार व विधिविशेषज्ञ) ने कहा कि आई सी एन के मंच पर उपस्थित हर व्यक्ति एक ऐसा बीज है जिसमें महावट का आकार छिपा है और आपस में हाथ मिलाकर जब हम किसी पवित्र कार्य में संलग्न होते हैं तो हमारी शक्ति व ऊर्जा सहस्रगुनी हो जाती है।

डॉ शाह अयाज़ सिद्दीकी, एडीटर इन चीफ़, आई सी एन & सिम्स के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर  ने कहा कि आई सी एन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 179 देशों में उपस्थित है और न केवल अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारतवर्ष को ग्लोरीफाई कर रहा है बल्कि अपने अंतर्राष्ट्रीय रूरल इंटरप्रिन्यूरशिप मिशन के माध्यम से एक नये व अर्थपूर्ण समाज की संरचना भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड एक वैश्विक आपदा रही है और इस चुनौती का सामना हमें विश्वस्तर पर एकजुट होकर ही करना पड़ेगा। मानवता परेशान हो सकती है लेकिन हम उसे पराजित नहीं होने देंगे। सिम्स के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी।

कार्यक्रम मे नज़म मुस्तफ़ा, कंसल्टिंग एडीटर,आईसीएन ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।

काव्यगोष्ठी का प्रारंभ अमिताभ दीक्षित ने अपनी रचना ध्वनियाँ से किया। उन्होंने अनेक अन्य रचनाओं के साथ सुनाया –

अक्सर बुनती हैं छोटी-छोटी ध्वनियाँ,
इतिहास को एक कपड़े जैसा,
पानी जैसी पारदर्शी ये ध्वनियाँ
अक्सर इस सिरे से उस सिरे तक
चमकते कणों में तब्दील होती हैं।

आदर्श श्रीवास्तव ने तेईस वर्षों के लंबे अंतराल के बाद लिखी अपनी नवीनतम रचना  सुनाई जिसका एक अंश निम्नवत है –

गर मै सच हूँ
तो सच में सच सा दिखना होगा,
भगवा, नीला, लाल, सफेद,
काले, पीले, हरे अनेक
सब रंगों में, बेरंगा सा

मिलना और निखरना होगा।

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव ; तरुण प्रकाशने अपनी कविता समय का गीत प्रस्तुत करते हुए कहा –

मैं समय के सिंधु तट पर आ खड़ा हूँ,
पढ़ रहा हूँ रेत पर,
मिटते मिटाते लेख, जो बाँचे समय ने।

अखिल कुमार श्रीवास्तव ;अखिल आनंद ने अन्य रचनाओं के साथ अपनी अत्यंत लोकप्रिय रचना कफ़न से जहाँ पहले श्रोतागण को खूब हँसाया वहीं अंत में उन्हें अत्यंत संवेदित कर अविश्वसनीय रूप से गंभीर कर दिया। उन्होंने कहा –

कफ़न बहुत से लोगों के लिये
रोज़ी रोटी का साधन भी है,
अगर विश्वास नहीं है तो
पूछो कफ़न के व्यापारियों से
सरकारी अस्पतालों से
कफ़ंन के नाम पर चंदा मांगने वालों से
और मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफ़न से।

कार्यक्रम के अध्यक्ष  सी.पी.सिंह ने बताया कि वे 32 पुस्तकों के प्रणेता हैं। उन्होंने अपनी अंग्रेज़ी में अत्यंत लोकप्रिय कवितायें ऐशेज़ व टियर्स का प्रस्तुतीकरण कर लोगों का दिल जीत लिया।

कार्यक्रम के अंत में डॉ शाह अयाज़ सिद्दीकी ने कहा कि हमारा उद्देश्य लंबी बीमारी से उठे समाज को सकारात्मकता का अमृत उपलब्ध कराना है और हम अपनी श्रृंखला एक कदम और के माध्यम से समाज को सम्मान के साथ जीवित रहने के हुनर सिखायेंगे। उन्होंने समस्त उपस्थित व्यक्तियों को सहभागिता के लिए धन्यवाद देते हुये कहा कि इस श्रृंखला का अगला कदम शीघ्र ही समाज के समक्ष प्रस्तुत होगा।

प्रोफेसर प्रदीप माथुर, चीफ़ कंसल्टिंग एडीटर, आई सी एन व चेयरमैन, सिम्स ने इस श्रृंखला के महत्व पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि ऐसे कार्यक्रम किसी भी जीवित समाज की धड़कने हैं।

आईसीएन, फोटो जर्नलिस्ट मोहम्मद दानिश खान, अनिल कुमार, शिवानी आदि कार्यक्रम में मौजूद रहे।

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