विश्व हेपेटाइटिस दिवस 28 जुलाई पर विशेष-जरूरी है जागरूकता और बचाव

डॉ अनुरूद्व वर्मा, एडीटर-ICN

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व हेपेटाइटिस दिवस का आयोजन प्रति वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिवस का आयोजन  जन सामान्य में इस बीमारी की रोकथाम, परीक्षण और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जाता है ।

हेपेटाइटिस की गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दुनिया में लगभग 40 करोड़ लोग इससे ग्रसित हैं और  प्रति वर्ष दुनिया में लगभग 14 लाख लोगों की मृत्यु रोग  कारण हो जाती है।  देश में लगभग 1 करोड़ 50 लाख लोग इससे संक्रमित हैं तथा लाखों लोग प्रतिवर्ष इसके कारण मौत का शिकार हो जातें हैं ।

क्यों मनाया जाता है विश्व हेपेटाइटिस दिवस :

विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को हेपेटाइटिस के लिए जागरूक करना है. लोगों में जागरुकता न होने के कारण लोग सही समय पर हेपेटाइटिस का टीका नहीं लगवाते हैं  जिसके कारण यह बीमारी बढ़ती जाती है और एक खतरनाक रूप धारण कर लेती है ।

हेपेटाइटिस के बारे में:

हेपेटाइटिस वायरस के काऱण होने वाली यह एक संक्रामक बीमारी है. यह बीमारी मनुष्य के साथ बंदरों की प्रजाति के लीवर को भी संक्रमित करती है, जिसके कारण से लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है । हेपेटाइटिस यकृत की सूजन  है  जिसे यकृत के ऊतकों में सूजन वाली कोशिकाओं की मौजूदगी से पहचाना जाता हैं.

हेपेटाइटिस पांच प्रकार के होते हैं हेपेटाइटिस- ए, बी, सी, डी और ई.

हेपेटाइटिस ए वायरस (एचएवी)

ये वायरस संक्रमित व्यक्ति के मल में पाए जाते जाते हैं और ये मुख्यतया दूषित पानी या भोजन के द्वारा प्रसारित होते हैं। जब एचएवी का संक्रमण हल्का होता है, तो यह दवाओं के द्वारा पूरी तरह ठीक हो जाता है। अगर संक्रमण गंभीर है, तो यह जीवन के लिए घातक हो सकता है। जो लोग गंदे परिवेश में रहते हैं या साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते, उनके इसकी चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।

हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) :

यह संक्रमित रक्त, सीमन और दूसरे बॉडी फ्ल्यूड के द्वारा संचरित होता है। यह वायरस जन्म के समय संक्रमित मां से बच्चे में संचरित हो सकता है या नवजात शिशु को परिवार के किसी सदस्य के द्वारा मिल सकता है। यह संक्रमित रक्तदान या मेडिकल प्रकियाओं के दौरान दूषित इंजेक्शन से भी फैल सकता है।

हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) :

यह मुख्यतया दूषित रक्त से संचरित होता है। यह संक्रमित रक्तदान या मेडिकल प्रक्रियाओं के दौरान दूषित इंजेक्शन आदि से भी फैल सकता है। यह शारीरिक संबंधों के द्वारा भी फैल सकता है, लेकिन इसके मामले कम देखे जाते हैं।

हेपेटाइटिस डी वायरस (एचडीवी):

यह संक्रमण केवल उन लोगों में होता है, जो हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित होते हैं। एचडीवी और एचबीवी के दोहरे संक्रमण के कारण बीमारी अधिक गंभीर हो जाती है।

हेपेटाइटिस ई वायरस (एचईवी):

हेपेटाइटिस ए वायरस के समान ही एचईवी भी दूषित पानी या भोजन के द्वारा प्रसारित होता है। इसके मामले बहुत अधिक देखे जाते हैं।

एक अनुमान के अनुसार विश्व की जनसंख्या के लगभग एक तिहाई लोग हेपेटाइटिस वायरस से संक्रमित है । हेपेटाइटिस वायरस का संचरण संक्रमित रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में जाने से होता है.

हेपेटाइटिस के कारण होने वाली स्वास्थ्य जटिलताएं :

क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी या सी के कारण अकसर अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं, क्योंकि ये वायरस प्रमुख रूप से लिवर पर आक्रमण करते हैं। जिन लोगों को हेपेटाइटिस बी या सी है, उनमें इन स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है-
– क्रॉनिक लिवर डिसीज
– लिवर सिरोसिस
– लिवर कैंसर
– लिवर फेल्योर
– किडनी फेल्योर।

कैसे करें हेपेटाइटिस से रोकथाम :
– साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
– टैटू के लिए स्टरलाइज नीडल का इस्तेमाल करें।
– सुरक्षित शारीरिक संबंध बनाएं।
– अपने टूथब्रश और रेजर किसी के साथ साझा न करें।
– शराब का सेवन न करें या अत्यंत कम मात्रा में करें।
– विशेषकर टॉयलेट से आने के बाद सफाई का ध्यान रखें।

क्या लक्षण होते हैं हेपेटाइटिस में :
कुछ लोगों में प्रारंभ में हेपेटाइटिस का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। आमतौर पर इसके लक्षण 15 से 180 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। संक्रमण गंभीर होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-
-बुखार आना
– डायरिया
– थकान
– भूख न लगना
– उल्टी होना
– पेट में दर्द होना
– दिल घबराना
– मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
– वजन कम होना
– सिर दर्द
– चक्कर आना
– यूरिन का रंग गहरा होना
– मल का रंग पीला हो जाना
– खुजली रहना
– त्वचा, आंखों के सफेद भाग, जीभ का रंग पीला पड़ जाना (ये लक्षण पीलिया में दिखाई देते हैं)
– महिलाओं में मासिक धर्म का गड़बड़ा जाना
– लिवर का आकार बढ़ जाना

कैसे करें हेपेटाइटिस से बचाव :
हेपटाइटिस मॉनसून के दौरान अधिक फैलता है इसलिए इस मौसम में तैलीय, मसालेदार, मांसाहारी और भारी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए । इस बीमारी से बचने के लिए शाकाहारी आहार, ब्राउन राइस, हरी पत्तेदार सब्जियां, विटमिन सी युक्त फल, पपीता, नारियल पानी, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिये ।

क्या हैं कारण हेपेटाइटिस के:

पूरे विश्व में हेपेटाइटिस का सबसे प्रमुख कारण हेपेटाइटिस वायरस है। इसके अलावा कुछ संभावित कारण हैं-
– विभिन्न प्रकार के संक्रमण।
– नशा करना (शराब और कुछ निश्चित ड्रग्स का सेवन)।
– ऑटोइम्यून डिसीज भी हेपेटाइटिस का कारण बन सकती हैं।
– कुछ निश्चित दवाओं के इस्तेमाल के दुष्प्रभाव से भी यह बीमारी हो सकती है।                           

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