“छोड़-कर-आए“

सी. पी. सिंह, एडीटर-ICN ग्रुप  प्रवासी , तब -बने – हम , जब , बहुत -कुछ , छोड़ – कर – आए | अपने – शुभ – गाँव -के -सारे – सुखों -से , मुहँ -मोड़ -कर – आए ||   बूढ़े – बाप – बहन – औ – छोटे – भाई – को | ममता – की – मूरति – रोती – (हुई) माई – जो | सब – आँखें – ज्यों – भरे – सपने – हैं – गाई – सो | माँ – के – भाव –…

Read More

तीन प्रश्न-तीन उत्तर

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप प्रश्नोत्तर – 3 अक्सर उठती है मन के अंदर यह पीड़ा, क्या कभी समय के नियम समझ भी आयेंगे। हर बार करेगा काल अंत मे जय हमको, या हममें भी कुछ कालजयी कहलायेंगे।। (1) क्या चाल‌ समय की निश्चित है, निर्धारित है, जो छूट गया, वह क्यों इतिहास कहाता है। क्या वर्तमान है धरती, पाँवों के नीचे, अक्सर क्यों आने वाला भी दिख जाता है।। (2) जाने भविष्य, फिर यह अतीत, फिर वर्तमान के मध्य कौन सी डोर सदा सेि ‌जीवित है। है…

Read More

एक फ़िल्म जिसमें देवानंद स्टार नही एक कलाकार बन के काम किया

गाइड देव आनंद की एक कलाकार के रूप में और निर्माता साथ ही नवकेतन की बेहतरीन फ़िल्म थी इस फ़िल्म में उन्हें धन और ख्याति तो मिली हैं उन्हें आत्म संतोष भी मिला। यह फ़िल्म आर. के . नारायण के उपन्यास “द गाइड” पर आधारित थी । इस फ़िल्म को निर्देशित किया था उनके भांजे विजय आनंद ने , पूरी फिल्म की पटकथा को इतना चुस्त दुरुस्त लिखा गया था की इसमें कही कोई खामी नज़र नही आती। मैं जब भी गाइड देखता हूँ कुछ न कुछ नयापन नज़र आता…

Read More

“कोरोना-क्लेश“

सी. पी. सिंह, एडीटर-ICN ग्रुप  मेरे – प्राणों – से – भी – प्यारे – हिन्द , सरबस – अर्पण – तुझ – पर |  आ -लदी – महामारी -ये – निन्द , हुई – हानि -से – दुखि -हिय – भर || हम , घर – में – रहेंगे , किसी – से – भी – न – मिलेंगे |   नाक – मुहँ – न – छुएँगे , ना , भीड़ – में – जा , कहीं – मिलें – हिलेंगे | हाँथ – धोते – रहेंगे , अपनों…

Read More

तीन प्रश्न-तीन उत्तर

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप भाग-2 अक्सर कचोटती है मन की यह हूक, हमें, क्या धार समय की सिर्फ़ बहा ले जायेगी। हम पुत्र अपाहिज कथनी के ही सिद्ध हुये, या करनी हमसे भी इतिहास लिखायेगी।। (1) क्या जीवन साँसों का है आना-जाना भर, या नश्वर जीवन अमृत भी बन सकता है। टूटे तारों सा होता है केवल जीवन, अथवा सूरज सा अक्षत भी बन सकता है।।(2) युग युग से हिम में देह जमी है जो अपनी, क्या उसमें भी इक रोज़ हरारत जागेगी। जो रिक्त सदा है…

Read More

कोरोना ने छेड़ा बेसुरा राग, युवा संगीतकार वाजिद की दुखद मृत्यु

सुरेश ठाकुर बेहतरीन म्यूजिक डायरेक्टर और लिरिसिस्ट होने के साथ-साथ वे एक शानजदार सिंगर भी थे।1998 में फिल्म ‘प्यार किया तो डरना क्या’ से अपने भाई साजिद खान के साथ एक युगल संगीतकार के रुप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले वाजिद लगातार हिट संगीत देकर लोगों ख़ासकर युवाओं के बीच बहुत जल्दी लोकप्रिय हो गए थे | क्रूर कोरोना ने संगीत के जिस सुरीले स्वर को बेहद बेसुरे अंदाज़ में छेड़ दिया, उसका नाम है ‘वाज़िद ख़ान’ | अभी इरफ़ान ख़ान और ऋषि कपूर की दुख़द मृत्यु पर…

Read More