सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप
ज़द पे हैं मेरी तमन्नाएँ न जाने कब से
हो रहे हैं वो खता उसके निशाने कब से
MY DESIRES ARE ON TARGET OF HER SINCE LONG
THEY HAVE BEEN MISSING AIM INCESSANTLY
वक़्त बदला है अचानक तो मिली मुझको मुराद
कर रहा था वो कई मुझसे बहाने कब से
TIME CHANGED AND FULFILLED MY LONGING
SHE HAS BEEN EYE WASHING SINCE LONG
दस्ते गुलरंग से जारी है वहां बूए वफ़ा
जिस्म से मेरे अलग हैं मेरे शाने कब से
HER COLOURFUL HANDS RELEASE PERFUME OF FAITH
APART HAVE BEEN FROM ME MY SHOULDER FOR A LONG TIME
बरमहल हम से किया है ये फ़ज़ाओं ने सवाल
अपना रुख बदला है ये जाने हया ने कब से
THE SURROUNDING QUESTIONS TO ME PERTINENTLY
SINCE WHEN SHE HAS CHANGED HER INSTINCTIVE MODESTY
उनके पास आएगा क्या हुस्ने जुनूं ख़ेज़ कभी
तक रहे हैं जो तेरी राह दिवाने कब से
WHEN WOULD YOU COME THE FRENZY RAISER TO THOSE-
THE LOVE LUNATICS HAVE FIXED THERE EYES ON YOUR WAY SINCE LONG
सोच कर मैं उन्हें इस बात से ग़ाफ़िल था सुहैल
आगये हैं वही लम्हात सुहाने कब से
I WAS INDIFFERENT WHILE THINKING ABOUT THEM
CAME THE VERY BRISK MOMENTS LONG WAITED
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ZAD =NISHANA,HATA=CHOOKNA ,DASTE GULRANG=PHOOL SAMAAN HAATH,SHANE=KAANDHE,BARMAHEL= UCHIT,JAANE HAYA=LAJJA KI JAAN,HUSNE JUNUNKHEZ=PAGALPAN UBHARNE WALA GHAFIL =UDAASEEN
GHAZAL KA MATLA ISS BIILLI KE JUNUN SE MEL KHATA HAI
विशेष:- ‘सुहैल काकोरवी’ उर्दू, अंग्रेजी, हिंदी व फारसी के साहित्य का एक ऐसा नाम हैं जो स्वयं भी “साहित्य” ही है. उन्होंने जितना भी लिखा वो साहित्य की सर्वशेष्ठ वर्ग में आता है और यही कारण है की समय समय पर ‘लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड’ एवं ‘इंडियन बुक्स ऑफ़ रिकॉर्ड’ जैसी संस्थाओं ने उनकी अनेक पुस्तकों को कीर्तिमानो की मान्यता दी है. श्री सुहैल काकोरवी आई.सी.एन. नेशनल (साहित्य) के सम्मानीय एडिटर हैं. उनकी इस रचना को प्रकाशित करते हुए आई.सी.एन. को अत्यंत गर्व का अनुभव हो रहा है.