सोच के मन दहल जा रहा।

आकृति विज्ञा ‘अर्पण’, असिस्टेंट ब्यूरो चीफ-ICN U.P. 
हाथी प्रजाति शुभता का प्रतीक अपने डाइवर्सिटी स्पेशियलिटी के कारण माना जाता रहा है , एक ऐसा क्षेत्र जहां की संस्कृति का अभिन्न अंग स्वयं हाथी ही है वहां से ऐसी घटना बहुत ही निराशजनक है। 
केरल से एक घटना की खबर मिली है जो मानवता को शर्मसार करने वाली है।न्यूज पेपर में पढ़ा कि केरल के जगह पर एक गर्भवती हाथिनी संसाधनों की तलाश में भूखी प्यासी जंगल से बाहर निकल आयी तभी कुछ स्थानीय लोगों ने उसे पटाखे से भरा अनन्नास खाने को दे दिया।खाने के बाद हाथिनी के पेट में जलन व पीड़ा इतनी अधिक हो गयी थी कि इस असहनीय पीड़ा से तृप्त होने के लिये वह पास के नहीं जलस्रोत (नदी या पोखरा) में जाकर खड़ी रही।और कुछ देर बाद यह पीड़ा इतनी असहनीय हो गयी कि वह डूब गयी देखते देखते दो पीढ़ियां मानव के इस कुकृत्य की भेंट चढ़ गयीं।यह नैतिकता ,मानवता ,ज़िम्मेदारी बहुत सारे विषयों पर गंभीर प्रश्न है।हम इतने स्वार्थी और क्रूर हो गये कि एक बेजुबान के साथ हमने इतना खराब मजाक कर डाला?गर्भ में शिशु धारण करने के बाद एक ऐसा दौर होता है जब शरीर के ध्यान रखे जाने की आवश्यकता बढ़ जाती है।हम मनुष्यों ने वैसे प्रकृति का दोहन करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है फिर भी हम इतने अमानवीय हो गये हैं ? कि हम एक गर्भवती पशु के साथ ऐसा घिनौना व्यवहार करें……..हाथिनी का प्रेगनेंसी ड्यूरेशन दो साल होता है । न जाने कौन लोग इतने निर्मम थे । पता नहीं क्यूं एक पल को मनुष्य होना अखर गया।यह सरासर दो पीढ़ियों की हत्या है।हाथी प्रजाति शुभता का प्रतीक अपने डाइवर्सिटी स्पेशियलिटी के कारण माना जाता रहा है , एक ऐसा क्षेत्र जहां की संस्कृति का अभिन्न अंग स्वयं हाथी ही है वहां से ऐसी घटना बहुत ही निराशजनक है। मनुष्य कितना गिर चुका है कि उसे गर्भवती पशु की संवेदना से कोई लेना देना नहीं। बायोडायवर्सिटी के नुकसान के शुरू यह सफर संवेदनाओं ,मानवता के पैचेज में पड़े शवों से गुजरता न जाने कहां तक जायेगा।जिन लोगों ने किया उन पर सख्त कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।ताकि ऐसी गलती करने के पहले आदमी बार बार सोचे।

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