ग़ज़ल–हम अकेले तो हैं मजबूर नहीं….

केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN
“घर पर रहें – घर पर सुनें”
हर रोज़ नए गाने
ग़ज़ल – हम अकेले तो हैं मजबूर नहीं….
गायक – अर्नब चटर्जी (मुंबई)
संगीतकार – केवल कुमार
गीतकार – अशोक हमराही
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बिलासपुर छत्तीसगढ़ में जन्मे गायक – संगीतकार अर्नब चटर्जी मुंबई में विगत 25 वर्षों से संगीत के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने डॉ. बिप्लव चक्रबर्ती (बिलासपुर), पं प्रताप नारायण(मुम्बई), पं रमेश प्रेम व गीता प्रेम(मुम्बई),  ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह(मुम्बई),  पं प्रेम कुमार मलिक(प्रयागराज) जैसे गुरुओं से संगीत सीखा है। अर्नब चटर्जी ने कई फिल्में, ऐल्बमस, एड फ़िल्मस , शार्ट फ़िल्मस, टीवी सीरियल्स आदि में  देश के महान कलाकारों जैसे सुरेश वाडकर, साधना सरगम, नितिन मुकेश, बाबुल सुप्रियो, विनोद राठौड़, अनूप जलोटा, अनुराधा पोडवाल के साथ बतौर गायक और संगीतकार कार्य किया है।अर्नब चटर्जी आकाशवाणी मुम्बई  के नियमित गायक और संगीतकार हैं। इज़हार , खिलते गुलशन, रवानी, महुआ, साशा, तेरी जय हो वीर जवान, प्रभू तारा नाम हजार, मेरे ख्वाब, देवो मे देव,  विघ्नहर्ता, ओम साई राम, गजराज गजानन, आदि म्यूजिक एलबम्स और Brave Heart (मराठी),  झन भुलो माँ बाप ला (छत्तीसगढ़ी) फ़िल्म रिलीज़ हुई हैं, इसके अलावा लघु फ़िल्म The Truth Behind ,  Love  Story आदि के लिए भी काम किया है।   अर्नब चटर्जी को छत्तीसगढ़ रत्न,  IWAF नेशनल अचीवमेंट अवार्ड्स, चक्रधर समारोह,  कुवेत चैप्टर,  रजत सम्मान छत्तीसगढ़ी फिल्म झन भुलो माँ बाप ला ,  छत्तिसगढ़ हेरिटेज सम्मान, भारतीय दूतावास दुबई आदि अवार्ड्स से नवाज़ा गया है।देश विदेश में उन्होंने बतौर गायक अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये हैं। अर्नब चटर्जी की गाई ये ग़ज़ल सुनिए… Like करिए .… Share करिए …..और अपने विचार भी अवश्य लिखिए।
विशेष : समय कभी नहीं रुकता है। जब कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु लॉकडाउन के दौरान सारा विश्व थमा हुआ सा प्रतीत हो रहा था, सृजन उस समय भी जारी था। जीवन हर चुनौती से बड़ा है और उसी लॉकडाउन काल में रचे व सृजित किये गये ये गीत हमारी हर संकट से जूझने व जीतने की संस्कृति के प्रतीक हैं।
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