ग़ज़ल–तुम्हारी यादों के लम्हे सजाए बैठे हैं ….

केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN
“घर पर रहें – घर पर सुनें”
हर रोज़ नए गाने
ग़ज़ल – तुम्हारी यादों के लम्हे सजाए बैठे हैं ….
गायिका – सबीना मुमताज़ इस्लाम (कोलकाता)
साउंड इंजीनियर – सौरव भट्टाचार्य
संगीतकार – केवल कुमार
गीतकार- अशोक हमराही
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सबीना मुमताज़ इस्लाम एक ख्यातिप्राप्त गायिका हैं। संगीत से लगाव उन्हें बचपन से ही रहा। दस वर्ष की उम्र में उन्होंने ऑल असम म्यूजिक कम्पिटिशन में प्रथम पुरस्कार जीता था। शास्त्रीय- उपशास्त्रीय गायन में पारंगत सबीना इस्लाम ने देश और विदेश में अपने कार्यक्रमों से संगीत के क्षेत्र में अपनी ख़ास जगह बनाई है। वह ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में एक पूर्णकालिक कलाकार हैं, जहां वह ख्याल और लाइट लाइट दोनों श्रेणी में “ए” ग्रेड कलाकार हैं। इसके अलावा, वह नियमित रूप से विभिन्न टेलीविजन चैनलों में प्रदर्शन भी करती हैं। वह ख्याल और लाइट क्लासिकल श्रेणी में ICCR (इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस) की एक प्रतिष्ठित कलाकार हैं।उन्होंने “हर हर हरमोमकेश” आदि कई फ़िल्मों में प्लेबैक भी किया है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित सबीना इस्लाम की गायकी का एक ख़ास अंदाज़ है, जो आपको उनकी गायी इस ग़ज़ल में भी नज़र आएगा। … सुनिए… Like करिए .… Share करिए …..और अपने विचार भी अवश्य लिखिए।
विशेष : समय कभी नहीं रुकता है। जब कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु लॉकडाउन के दौरान सारा विश्व थमा हुआ सा प्रतीत हो रहा था, सृजन उस समय भी जारी था। जीवन हर चुनौती से बड़ा है और उसी लॉकडाउन काल में रचे व सृजित किये गये ये गीत हमारी हर संकट से जूझने व जीतने की संस्कृति के प्रतीक हैं।
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