स्पेनिश फ्लू (महामारी): जब लग गए थे लाशों के ढेर

मोहम्मद सलीम खान, सीनियर सब एडिटर-आईसीएन ग्रुप

सहसवान/बदायूं: इस समय भारत ही नहीं बल्कि दुनिया केअधिकतर देश कोरोना नामक भयंकर दानव रूपी महामारी से बड़ी वीरता के साथ मुकाबला कर रहे हैं। कोरोना का नाम आते ही एक आम आदमी के सामने खौफ तारी हो जाता है। इस भयंकर बीमारी ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकतर देशों की आर्थिक व्यवस्था को भी धरातल पर लाकर रख दिया है।इस महामारी के कारण एक और जहां लोगों का जानी नुकसान हो रहा है वहीं दूसरी ओर लोगों के सामने आजीविका का भी घोर संकट उत्पन्न हो गया है। दिनांक 12 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को विश्व महामारी (Pandemic) घोषित किया है। मगर हालात कैसे भी हो हमें कभी भी मायूस नहीं होना चाहिए। मायूसी इंसान को अंधकार के रसातल पर ले जाती है जहां से इंसान का वापस आना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है इसलिए हमें ईश्वर की वेधानियात और उसके महान अस्तित्व पर यकीन रखते हुए इस बात का पूरे विश्वास के साथ यकीन रखना चाहिए कि आने वाला कल अच्छा होगा। इतिहास इस बात का गवाह है कि दुनिया में एक से एक खतरनाक विश्व महामारीयो ने जन्म लिया और संपूर्ण विश्व में अपना तांडव मचाया। हजारों नहीं लाखों नहीं बल्कि करोड़ों लोगों को मौत का निवाला बनाया। कोरोना नामक महामारी से पहले ना जाने कितनी ही विश्व महामारी  जैसे Spanish flu black death जिसको द ग्रेट प्लेग के नाम से भी जाना जाता है। एशियन फ्लू , Hong Kong flu, Cholera,  Swine flu ने विश्व में मौत का खेल खेला है। मई 1918 से  दिसंबर 1920 तक Spanish flu यानी  Influenza virus ने विश्व की लगभग 1/3 आबादी को अपना शिकार बनाया। फ्लू से विश्व में लगभग 50 करोड़ लोग संक्रमित हुए और लगभग 5 करोड़ से अधिक लोगों की स्पेनिश फ्लू के कारण मृत्यु हुई। भारत में  जिस समय  स्पेनिश फ्लू का प्रकोप था और एक के बाद एक सैकड़ों की तादाद में  लोगों की मौतें हो रही थी  तो उस समय  अंतिम संस्कार के लिए लकड़िया तक भी कम पड़ गई थी। उस समय भारत की अर्थव्यवस्था भी शून्य में चली गई थी। स्पेनिश फ्लू के संक्रमण ने लगभग एक करोड़ 80 लाख भारतीयों को अपनी चपेट में लिया था।  हिंदी के मशहूर कवि  सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी आत्मकथा कुल्ली भाट में लिखा था कि,  मैं दाल मऊ में गंगा के तट पर खड़ा था चारों तरफ लाशों के ढेर लगे थे और अंतिम संस्कार के लिए लकड़िया भी नहीं मिल रही थी। मेरी पत्नी मनोहरा देवी एंव 15 वर्ष का मेरा भतीजा और 1 वर्ष की मेरी पुत्री भी इसी महामारी की भेंट चढ़ गए। मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) भी स्पेनिश फ्लू के संक्रमण की  चपेट में आ गए थे मगर भाग्य से  महात्मा गांधी Spanish flu नामक दानव के हाथों से बच गए। गांधीजी की पुत्रवधू गुलाब तथा पोते शांति की मृत्यु भी इसी बीमारी के संक्रमण से हुई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद्र भी Spanish flu के संक्रमण की चपेट में आ गए थे। Spanish flu जिसे mother of all pandemic यानी सबसे बड़ी महामारी भी कहा जाता है। उस समय प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हो चुका था लेकिन इस महामारी से मरने वालों की तादाद विश्व युद्ध में मरने वाले लोगों से ज्यादा थी। मेडिकल इतिहासकार और  Riding the Tiger पुस्तक के लेखक अमित कपूर लिखते हैं कि 10 जून 1918 को पुलिस के 7 सिपाहियों को जो बंदरगाह पर तैनात थे। नजले और ज़ुकाम की शिकायत पर उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया। यह भारत में संक्रामक बीमारी स्पेनिश फ्लू का पहला मामला था। जॉन बेरी अपनी किताब द ग्रेट इनफ्लुएंजा द एपिक स्टोरी ऑफ द डेडलिएस्ट इन हिस्ट्री में लिखते हैं साढ़े 10 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका में स्पेनिश फ्लू से लगभग 6 लाख 75 हज़ार लोग मारे गए थे। अमेरिका में फिलाडेल्फिया में यह आलम था कि पादरी घोड़े पर सवार होकर आते और दरवाजे दरवाजे लोगों से कहते कि अपने घरों में मरे हुए लोगों को बाहर निकाल कर डाल दो। शुरू में जब यह बीमारी फैली तो दुनिया भर की सरकारों ने इसे इसलिए छुपाया ताकि मोर्चे पर लड़ने वाले सैनिकों का मनोबल ना गिर जाए। सबसे पहले इस बीमारी का खुलासा स्पेन ने किया इसीलिए इस महामारी का नाम स्पेनिश फ्लू पड़ गया। संपूर्ण इतिहास में चेचक तपेदिक एचआईवी और 2009 में स्वाइन फ्लू हाल की विश्व बीमारियों के उदाहरण हैं। अक्टूबर 1347 से लेकर1353 तक black death महामारी संपूर्ण विश्व में अब तक की सबसे बड़ी वह भयानक महामारी थी जिसमें अंदाजे के मुताबिक 10  करोड़ से भी ज़्यादा लोगों की मृत्यु हुई थी । यूरोप में ब्लैक डेथ नामक  महामारी एक तरह का विषाणु था जो plague के अलग अलग रूप में होने का कारण है जिसने यूरोप की कुल जनसंख्या  के 30% से लेकर 60% तक लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

इस लेख में विभिन्न प्रकार की महामारी यों के कारण हुई मौतों का आंकड़ा तथा सन व तारीख इतिहासकारों के तथ्यों के आधार पर लिया गया है।यदि इस लेख में किसी प्रकार की कोई त्रुटि हो तो उसके लिए लेखक क्षमा चाहता है।

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