दवा खाने से बीमारी के लक्षण कुछ दिन रुकेंगे,खत्म नहीं होंगे

डॉ सौम्य प्रकाश, मेडिकल कोरेस्पोंडेंट-ICN
आज कल के व्यस्त दिनचर्या में आम लोगों के पास अपनी बीमारी के लिए भी वक्त नहीं।ना वो खुद बल्कि अपने परिवाजनों और मित्रो को भी दवा दे देंगे या बता देंगे।
बिना चिकित्सक के सलाह के दवा लेने से लोगों में बीमारी के लक्षण कुछ वक्त के लिए रुक जाते हैं,या तत्काल आराम मिल जाता हैं।पर वो बीमारी समुल नाश नहीं होती।कोई भी चिकित्सक वो दंत चिकित्सक हो,या कोई सामान्य चिकित्सक वो कोई भी दवा आपको ,आपकी पूरी बीमारी की जानकारी के अनुसार आपके वजन उम्र वह लक्षण जानने के बाद ही दवा देता हैं।उदाहरस्वरूप आप किसी दंत चिकित्सक के पास दांत दर्द के कारण जाते हैं।वो चिकत्सक आपकी पूरी जांच करके ,जरूरत पड़ने पर इलाज करने के बाद आपको दवा लिखेंगे।वो आपसे दवाओं के बारे में पूछेंगे की आपको पहले उन दवाओं को लेने से कोई समस्या तो नहीं आई।कोई एलर्जी तो नहीं।ये बात हम खुद से दवा लेते वक्त नहीं ध्यान देते।जो की बहुत जरूरी हैं।जरूरत के समय हम किसी से पूछ कर किसी के सलाह से दवा ले लेते है, वो दवा आराम भी दे सकते हैं।पर बिना चिकित्सक के परामर्श से ली दवा,बिना सम्पूर्ण इलाज़ के वह बीमारी जरूर रुक जाती हैं,पर समय उपरांत और भी विकराल रूप में वापस आती हैं।जो और समस्या साथ लाती हैं।उस विकराल अवस्था को समय रहते खत्म किया जा सकता है। पर जब समस्या ज्यादा हो जाए तो मरीज़ चिकित्सक दोनों के लिए दिक्कत ज्यादा हो जाती हैं।इसलिए कोई भी दवा वो दर्द बुखार की ही हो।पर हमेशा चिकित्सक के सलाह से ले।ना कि दवा की दुकान से या कम जानकर व्यक्ति की सलाह से।कुछ लोग अपने आप से एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग भी खुद पर और अपने परिवार पर करते हैं।जो कि बहुत ख़तरनाक होता है।एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने का तरीक़ा होता है।उसका सेवन बीमारी के अनुसार 3 दिन 5 दिन या उससे ज्यादा बीमारी की उग्रता के अनुसार किया जाता हैं, जो की एंटीबायोटिक दवाओं के कोर्स कहलाता हैं।पर खुद दवा लेने से लोग उस कोर्स को ठीक से पूरा नहीं करते या तो जरूरत से कम या फिर जरूरत से ज्यादा ले लेते है। जो कि शरीर पर दुष्प्रभाव डालते हैं,एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग जरूरत से ज्यादा या बार बार करने से फिर उन दवाओं का जरूरत के समय बीमारी पर वो असर नहीं होता जो होना चाहिए। क्योंकि हमारा शरीर फिर उन दवाओं का प्रतिरोध करने लगता है।एंटीबायोटिक दवाओं का भी एक वर्ग होता है।जिसे हम उनके खोज के अनुसार विभाजित करते हैं।कुछ लोग सीधे सबसे ताकतवर एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करने लगते हैं। अब भी कई दवाओं को अनुचित प्रभाव के कारण जो उनकी अनभिज्ञता के कारण  पहले की उत्पन्न दवाओं के असर को नगण्य कर देता हैं।भारत सरकार ने भी पिछले साल कई दवाओं पर प्रतिबंध लगाने की पहल की है।दर्द की दवा सरिडोन जो की हर व्यक्ति सरदर्द,दांत दर्द या बदन दर्द पर बिना सोचे तुरंत लेता है,उसके समेत 328 दवाओं को प्रतिबंधित किया है। जो कि फ़िक्स्ड डोज में आती हैं,और तुरंत असर दिखाती हैं,पर दूरगामी दुषपरिणामों के साथ शरीर को प्रभावित करती हैं। लगातार सेवन करने से दवा के कारण लिवर, किडनी तथा पेट के कई घातक बीमारियों को उत्पन्न करती हैं।अब भी कई दवाएं उस सूची में शामिल है जो कि हानिकारक मानी गई हैं।जिसमें अब भी खांसी की दवा कोरेक्स और डी- कोल्ड शामिल हैं।माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश दे दिया है कि कई दवाएं जो कि 1988 से पहले से भी उत्पाद हो रहे और करोड़ों का कारोबर कर रहे है। पर वो स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डाल रहे हैं, माननीय उच्च न्यायालय ने औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड को जांच करने का आदेश दिया है।बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंप दिया है।और दवाओं को प्रतिबंधित करने को कहा है।और दवाओं पर प्रतिबंध भी लगे हैं।पर अब भी कई जगह प्रतिबंधित दवाओं का उपयोग अब भी हो रहा है।कई दवाओं को कुछ कॉम्बिनेशन के साथ दिया जाता हैं, जो उन दवाओं के असर को ज्यादा करता हैं, और उनको शरीर पर दुष्प्रभाव को कम भी करता है।उदाहरस्वरूप कोई दर्द की दवा ख़ाली पेट नहीं खाना चाहिए, उन दवाओं को लेने से पहले पेंटपरोजोल वर्ग की दवा लेने की सलाह दी जाती हैं। जो दर्द की दवा के दुष्प्रभाव को कम कर देता हैं।एसीडिटी गैस से हमारे पेट की रक्षा करता है।एंटीबायोटिक दवाओं के साथ मल्टीविटामिन, प्रोंबॉयोटिक लेने की सलाह दी जाती हैं, क्योंकी वो हमारे पाचन मैं सहायक अच्छे बैक्टीरिया को भी खत्म करता है, प्रोंबॉयोटिक और विटामिन उस नुकसान को ठीक करता हैं।जो की बिना चिकित्सक के परामर्श के कारण हम नहीं समझ सकते और बिना उन सहायक दवाओं के कारण शरीर पर दुष्प्रभाव को लेकर बीमारियों को न्योता देते हैं।हमें जागरूक हो कर केवल टीवी रेडियो अख़बार इंटरनेट या किसी से पूछ कर दवाओं के सेवन से बचना चाहिए।हमें चिकित्सक से परामर्श के बाद ही दवाओं का सेवन करने की कोशिश करना चाहिए।बीमारी छोटी हो या बड़ी उसे विकराल रूप धारण करने से पहले चिकित्सक से परामर्श कर वक्त होते काबू में करना चाहिए।

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