कायम है आतंकी ढांचा

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सीआरपीएफ के गश्ती दल पर हुए आतंकी हमले ने चिंता बढ़ी दी है। हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हुए हैं। इस साल फरवरी में पुलवामा हमले के बाद चलाए गए बड़े अभियान में कई आतंकी मारे गए लेकिन कुछ दिनों की शांति के बाद स्थितियां फिर गड़बड़ाती दिख रही हैं।

पिछले दिनों राज्य में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने का फैसला हुआ है। माना जाता है कि राष्ट्रपति शासन में सरकारी अमला सामान्य स्थितियों से कहीं ज्यादा मुस्तैद होता है लेकिन अभी के हालात ऐसा कोई संकेत नहीं दे रहे। सेना और सुरक्षाबलों के सतत प्रयासों के बावजूद आतंकी ढांचे अपनी जगह पर बने हुए हैं और सीमा पार से घुसपैठ पर रोक नहीं लग पाई है। एक आतंकी संगठन को कमजोर किया जाता है तो दूसरा सक्रिय हो जाता है। अनंतनाग के हमले की जवाबदेही पाकिस्तान स्थित अल-उमर-मुजाहिदीन नाम के आतंकी संगठन ने ली है जिसने मुश्ताक जरगर को अपना सरगना बताया है। यह आतंकी बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान भी निशाने पर था। 1999 में आईसी-814 के अपहृत विमान यात्रियों को छोडऩे के बदले भारत सरकार ने उसे रिहा किया था। घटना को जिस तरह से अंजाम दिया गया, उसमें लोकल इंटेलिजेंस की कमी झलक रही है। सचाई यह है कि घाटी के ग्रामीण इलाकों में अब भी आतंकियों की पैठ बनी हुई है जिसकी बड़ी वजह वहां उनका खौफ है। पिछले दिनों आतंकियों ने कुछ लोगों को सिर्फ इस संदेह में मार दिया था कि वे दहशतगर्दों की सूचना सुरक्षाबलों को देते हैं। जाहिर है, आतंक के खिलाफ लड़ाई में जनता का सहयोग लेना ही सबसे बड़ी चुनौती है। आम कश्मीरियों का विश्वास जीतने के लिए सरकार वहां विकास कार्यों को गति देने में जुटी है। पिछले दिनों इस संबंध में कई अहम फैसले किए गए हैं, जैसे श्रीनगर और जम्मू के विकास के लिए मेट्रोपॉलिटन रीजनल डिवेलपमेंट अथॉरिटीज की स्थापना, 50,000 नए घरों के साथ आईटी सेंटर के रूप में ग्रेटर जम्मू और ग्रेटर श्रीनगर का निर्माण। डल झील के सौंदर्यीकरण की विस्तृत योजना बनाई गई है जिसके तहत नए फुटपाथ बनेंगे, रोशनी लगाई जाएगी और संगीतमय झरने बनाए जाएंगे। जम्मू और श्रीनगर में चौबीसों घंटे पानी की सप्लाइ सुनिश्चित करने और दोनों शहरों में प्रदूषणमुक्त ई-बसें चलाने के फैसले भी लिए गए हैं। इन योजनाओं को जल्द से जल्द अमल में उतारा जाना चाहिए और विधानसभा चुनाव में ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए। बेहतर होगा कि किसी न किसी रूप में पाकिस्तान से संवाद भी शुरू हो ताकि वहां की सरकार पर आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाया जा सके।

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