आशंकाओं के बीच

दुनियाभर के सत्ताधारी अपनी उपलब्धियों का चाहे जितना बखान करें, सच यह है कि आम आदमी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इसके बजाय रोज नई-नई समस्याएं उसके सामने खड़ी होती जा रही हैं।
बहुराष्ट्रीय मार्केट रिसर्च कंपनी इप्सॉस के सर्वेक्षण ‘वॉट वरीज दि वर्ल्ड ग्लोबल सर्वे’ से पता चलता है कि विभिन्न देशों की जनता की अलग-अलग चिताएं हैं। जहां तक भारत का प्रश्न है तो यहां बीते मार्च में किए गए सर्वे में ज्यादातर लोगों ने यह तो माना कि सरकार की नीतियां सही दिशा में हैं लेकिन आतंकवाद की चिंता उन्हें सबसे ज्यादा सता रही थी। उसके बाद देश के लोग बेरोजगारी को लेकर सबसे ज्यादा परेशान पाए गए।हालांकि आर्थिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार की चिंता भी उन्हें परेशान किए हुए है। बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण 28 मुल्कों के औसतन 58 प्रतिशत नागरिकों ने माना है कि उनका देश नीतियों के मामले में भटक-सा गया है। ऐसा सोचने वालों में सबसे ज्यादा दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, फ्रांस, तुर्की और बेल्जियम के लोग हैं। आर्थिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार, गरीबी और सामाजिक असमानता ज्यादातर मुल्कों में बड़े मुद्दे हैं। बेरोजगारी, अपराध, हिंसा और स्वास्थ्य संबंधी चिंता इनके बाद ही आती है। अपनी सरकार में सबसे ज्यादा विश्वास चीन के लोगों का है। वहां दस में नौ लोग अपनी सरकारी नीतियों की दिशा सही मानते हैं। यह ऑनलाइन सर्वे 28 देशों के 65 वर्ष से कम आयु के लोगों के बीच प्राय: हर महीने किया जाता है। इस नियमित सर्वेक्षण पर तात्कालिक घटनाओं का काफी असर रहता है। जैसे भारत में इस बार का सर्वे पुलवामा हमले के बाद किया गया तो इस पर उस हादसे की छाया थी लेकिन देश के पिछले सर्वेक्षणों को देखें तो आतंकवाद का स्थान यहां की चिंताओं में नीचे रहा है और बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या के तौर पर देखी जाती रही है। रोजगार की फिक्र भारत में सबसे ऊपर होने की पुष्टि अन्य सर्वेक्षणों से भी हुई है। पिछले ही महीने प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में 76 प्रतिशत वयस्कों ने बेरोजगारी को बहुत बड़ी समस्या बताया था। दरअसल, भारत में सरकार का आकलन कई मुद्दों को लेकर किया जा रहा है, लिहाजा ज्यादातर लोगों का भरोसा उसकी नीतियों पर बना हुआ है। लेकिन इस बात पर प्राय: आम सहमति है कि वह रोजगार के मोर्चे पर विफल रही है। एक तबका एनएसएसओ के हवाले से कहता है कि 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत तक पहुंच गई जो पिछले 45 साल का सर्वोच्च स्तर है। लेकिन इस आंकड़े को सरकार नहीं मानती। जो भी हो पर इप्सॉस सर्वे में सरकार के लिए यह संदेश छुपा है कि वह सुरक्षा को लेकर तैयारी पुख्ता रखे। लेकिन लोगों की रोजी-रोजगार से जुड़ी मुश्किलों की भी अनदेखी न करे।

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