मुंबई: आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर कांग्रेस और एनसीपी के बीच चल रहा बातचीत का दौर सीट बंटवारे को लेकर उलझ गया है। बताया जाता है कि राज्य की 48 संसदीय सीटों में से आठ सीटों को लेकर पेंच उलझा हुआ है। दूसरी ओर मित्र दलों को सम्मानजनक हिस्सेदारी देने को लेकर भी दोनों दलों में मंथन जारी है। फिलहाल कांग्रेस-एनसीपी में गठबंधन करने को लेकर अंतिम फैसला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और एनसीपी मुखिया शरद पवार पर छोड़ा गया है। कांग्रेस और एनसीपी के बीच अब तक गठबंधन को लेकर पांच बैठकों का दौर पूरा हो चुका है। परंतु प्रदेशस्तर पर दोनों दलों में सीटों को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। आठ सीटों को लेकर पेंच उलझा हुआ है। इससे पहले एनसीपी ने राज्य की 48 संसदीय सीटों में से आधे-आधे फार्मूले के आधार पर 25 सीटें मांगी थी। लेकिन कांग्रेस ने एनसीपी के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अपने दम पर सरकार बनाई है। इससे पहले कांग्रेस नेता खुद मानते थे कि पार्टी को क्षेत्रीय दलों की वैशाखी लेनी पड़ती है। अब पार्टी के बढ़े ग्राफ से कांग्रेसी नेताओं को अंदाज है कि अब उन्हें क्षेत्रीय दलों को ज्यादा महत्व देने की आवश्यकता नहीं है। लिहाजा कांग्रेस महाराष्ट्र में सीटे बंटवारे में ज्यादा हिस्सेदारी चाहती है। दोनों पार्टियों को अपने-अपने कोटे से मित्र दलों को भी सीटें देनी है। एनसीपी खेमा भी सम्मानजनक हिस्सेदारी पाए बिना पीछे हटने को तैयार नहीं है। एनसीपी ने सांसद राजू शेट्टी की स्वाभिमानी पार्टी से समझौता किया है। राजू शेट्टी हातकणंगले सीट से सांसद हैं। एनसीपी मुखिया शरद पवार उन्हें हातकणंगले संसदीय सीट से चुनाव लड़ाने का वादा कर चुके हैं। हाल ही में इससे नाराज होकर पूर्व सांसद रही निवेदिता माने ने एनसीपी छोड़कर फिर से शिवसेना में घर वापसी की है। चर्चा है किसानों में पैठ रखनेवाले सांसद राजू शेट्टी अपनी पार्टी के लिए 8 सीटें मिलने की चाहत रखते हैं। इधर पवार ने कोकण में संगठन को सशक्त बनाने के लिए भाजपा कोटे से राज्यसभा सदस्य और महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी के अध्यक्ष नारायण राणे का भी मन टटोला है। दूसरी ओर भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकरअसदुद्दीन ओवैसी की एमआईएम पार्टी से समझौता कर चुके हैं। आंबेडकर की पार्टी मराठावाडा और विदर्भ के दलित बेल्ट में प्रभाव रखती है। वे भी कांग्रेस से जुड़ना चाहते हैं। हालांकि इस समीकरण में ओवैसी से कांग्रेस को एेतराज है, जबकि प्रकाश आंबेडकर एनसीपी से नाराज हैं। बताया जाता है कि अगर भारिप बहुजन महासंघ से गठबंधन नहीं हुआ तो दलित वोटों को आकर्षित करने के लिए कांग्रेस अकोला सीट से प्रकाश आंबेडकर को समर्थन देगी। कांग्रेस को चुनावी समीकरण बिठाने के लिए सपा, पीपल्स रिपब्लिकन पक्ष सहित अन्य छोटे दलों को भी साथ लेना है। इन दलों की भी सम्मानजनक हिस्सेदारी की मांग है। सभी दल चार से पांच सीटों की चाहत रखते हैं। बहरहाल महागठबंधन पर अंतिम फैसला लेने का प्रस्ताव दोनों दलों के आलाकमान के पाले में चला गया है। इधर महागठबंधन में फूट के संकेत मिल रहे हैं। लोकतांत्रिक जनता दल के प्रदेशाध्यक्ष व एमएलसी कपिल पाटिल ने मित्र दलों को सिर्फ तीन सीट दिए जाने पर नाराजगी जताई है। पाटिल ने इस संबंध में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हाण और एनसीपी नेता अजित पवार को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है। उन्होंने सवाल उठाया है कि यदि मित्र दलों को सिर्फ तीन सीटें देने का मन बनाया गया है तो यह समझौता वास्तविकता से दूर है। दूसरी ओर पवार और उद्धव की गुप्त मुलाकात से मध्यावधि चुनाव की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक पखवाड़े पहले शरद पवार के बंगले सिल्वर ओक में जाकर उनसे गुप्त मुलाकात की थी। इस दौरान केवल पार्टी प्रवक्ता संजय राऊत उद्धव के साथ थे। राऊत बाहर बैठ रहे और पवार व उद्धव ने बंद कमरे में करीब आधे घंटे तक विभिन्न मुद्दो पर बातचीत की। इस मुलाकात की जानकारी उद्धव के पीए मिलिंद नार्वेकर को भी नहीं थी। इस गोपनीय मुलाकात से राजनीतिक हलके में चर्चा है पवार ने उद्धव को आश्वस्त किया है यदि शिवसेना सत्ता से बाहर होती है तो एनसीपी भाजपा को समर्थन नहीं देगी।
सीटों को लेकर उलझा महागठबंधन का पेंच, अंतिम फैसला राहुल और पवार के दरबार में
