नई दिल्ली। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने महिलाओं को सीमा पर तैनात करने को लेकर बड़ा बयान दिया है। रावत का कहना है कि अगर महिलाओं को सीमा पर भेजा जाता है तो वह साथी जवानों पर ताक-झांक का आरोप लगाएंगी। सेना प्रमुख ने कहा कि एक वक्त वह युद्ध की भूमिका में महिलाओं को भेजने की पेशकश पर तैयार थे, लेकिन फिर लगा कि ज्यादातर जवान ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं और वह महिला अधिकारियों के ऑडर स्वीकार करने में अहसज महसूस कर सकते हैं। रावत ने कहा कि महिलाएं अभी सीमा पर जंग के लिए भेजे जाने के लिए तैयार नहीं हैं, इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि उन पर बच्चों की जिम्मेदारी होती है और वह फ्रंटलाइन में कपड़े जेंच करने में असहज महसूस करेंगी। वह हमेशा साथी जवानों पर ताक-झांक का आरोप लगाएंगी।रावत ने कहा कि इंजीनियर के तौर पर महिला अधिकारी हैं। वे खनन और कागजी कार्रवाई का काम कर रही हैं। वायु रक्षा में वे सेना के हथियार प्रणालियों का प्रबंधन कर रही हैं। हमने महिलाओं को फंटलाइन में नहीं रखा है। क्योंकि अभी हम कश्मीर में प्रॉक्सी वॉर में व्यस्त हैं। रावत ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक महिला 7-8 साल से सेना में नौकरी कर रही थी। एक घटना में उसकी मौत हो गई। उसका एक 2 साल का बच्चा है। उसके माता पिता दिल्ली या चंडीगढ़ में बच्चे की देखभाल कर रहे हैं। मैं आपको वहीं बताना चाहता हूं। क्या आपको लगता है कि हम इसके लिए तैयार हैं? रावत ने कहा कि मैं उन महिलाओं को नहीं कह रहा हूं जिनके बच्चें मरते नहीं हैं। वह सड़क दुर्घटना में भी मर सकती है। लेकिन युद्ध से जब जवानों का शव ताबूत में वापस आता है, तो हमारा देश इसे देखने के लिए तैयार नहीं है। दूसरा, तब क्या होगा जब जवानों के बीच में एक महिला होगी। उसे सभी जवानों के सामने ही आराम और सबकुछ करना होगा। उसे ऑपरेशन के लिए भी जाना होगा। लेकिन आज भी हमारे पास इसकी स्वीकृति नहीं है। ज्यादातर जवान ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, उन्हें यह स्वीकार करने में थोड़ा समय लगेगा।
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