नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार को संसद की स्टैंडिंग कमेटी (स्थायी समिति) के समक्ष पेश हुए। अपनी पेशी के दौरान पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि नोटबंदी का प्रभाव क्षणिक था। जानकार सूत्रों के मुताबिक पटेल ने समिति के सामने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की स्थिति समेत कई अन्य मामलों के बारे में जानकारी दी। दरअसल, उर्जित पटेल को 12 नवंबर को समिति के समक्ष उपस्थित होना था लेकिन वे आज अपना समय निकाल पाए। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कमेटी को सूचित किया कि नोटबंदी का प्रभाव क्षणिक था। हालांकि, उन्होंने किसी भी क्षेत्र के लिए क्रेडिट मानदंडों को राहत देने के बारे में बात नहीं की। इतना ही नहीं, आरबीआई गवर्नर ने आरबीआई के सेक्शन 7 के बारे में कुछ भी नहीं बोला। पैनल में बैठे सांसदों ने आरबीआई गवर्नर से आरबीआई से जुड़े सभी चुनौतियों और विवादास्पद मुद्दों पर कई सवाल पूछे। हालांकि, उन्होंने सांसदों को आश्वासन दिया कि वह अगले 10 से 15 दिनों के भीतर लिखित में जवाब देंगे। सूत्रों ने बताया कि वित्त पर संसद की स्थायी समिति के एजेंडे में नवंबर 2016 में पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट को चलन से हटाने, आरबीआई में सुधार, बैंकों में दबाव वाली परिसंपत्तियों तथा अर्थव्यवस्था की स्थिति सूचीबद्ध है। आरबीआई गवर्नर समिति के समक्ष ऐसे समय पेश हो रहे हैं जब केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरा मतभेद है। इन मुद्दों में आरबीआई के पास पड़े आरक्षित कोष का उचित आकार क्या हो तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये कर्ज के नियमोंमें ढील के मामले शामिल हैं। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति के सदस्य हैं।
संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए आरबीआई गवर्नर उर्जित, नोटबंदी पर दिया जवाब
