छठी बार विश्व चैम्पियन बनी मैरी कॉम (48 किग्रा) को दसवीं एआईबीए विश्व चैम्पियनशिप का ‘सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज’ चुना गया।
दिल्ली के केडी जाधव हॉल में हुई 48kg कैटिगरी के फाइनल फाइट में मैरी कॉम ने उन्होंने यूक्रेन की हन्ना ओकोता को 5-0 (30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 30-27) से हराया और रेकॉर्ड छठी बार महिला विश्व कप का खिताब अपने नाम किया।जीतने के बाद मैरी कॉम काफी भावुक हो गयीं और खुशी की वजह से उनके आंसू थम नहीं रहे थे।उन्होंने इस पदक को देश को समर्पित किया।छठी बार विश्व चैम्पियन बनी एमसी मैरी कॉम (48 किग्रा) को दसवीं एआईबीए विश्व चैम्पियनशिप का ‘सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज’ चुना गया।केटी टेलर को पीछे छोड़ने के साथ ही क्यूबा के फेलिक्स सैवॉन के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है।टेलर ने पांच बार विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। वहीं सैवॉन के नाम इस चैंपियनशिप में छह गोल्ड मेडल है। भारत की यह दिग्गज मुक्केबाज विश्व चैंपियनशिप में सबसे सफल मुक्केबाज भी बन गई हैं।मेरी ने अपनी आत्मकथा अनब्रेकेबल में लिखा है, गांव में शायद सभी बच्चे उतनी मेहनत नहीं करते थे,जितनी हम लोग। मैं खेतों में पिता के साथ काम में मदद करती रहती थी और अपने साथियों को दुूर से खेलते हुए देखती थी।मैरी कॉम ने छठा स्वर्ण पदक जीतने के बाद अपने माता पिता से बात की और वह उन्हें भी इस जीत का भागीदार मानती हैं कि उनकी मदद के बिना वह यह सब हासिल नहीं कर पातीं।.