इसरो ने लॉन्च किया संचार उपग्रह जीसैट-29

श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने आज एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है। इसरो ने आज शाम श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र से संचार उपग्रह जीसैट-29 का प्रक्षेपण किया। इसरो का अब तक का सबसे भारी प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क-III इस संचार उपग्रह को भू-स्‍थैतिक कक्षा में स्‍थापित करेगा। इसको 5 बजकर 8 मिनट पर सफल प्रक्षेपण किया है।गौरतलब है कि इस उपग्रह में पूर्वोत्तर और देश के दूरदराज इलाकों को लेकर उच्‍च गति से आंकड़ों के हस्‍तांतरण की क्षमता होगी। इस उपग्रह का जीवनकाल दस वर्ष से अधिक होगा। जीएसएलवी मार्क-थ्री रॉकेट की यह दूसरी परीक्षण उड़ान है। अगले वर्ष जनवरी में होने वाले चंद्रयान-2 मिशन में इसी रॉकेट का प्रयोग होना है। जीसैट-29 को लॉन्च करने के लिए जीएसएलवी-एमके 2 रॉकेट का इस्तेमाल किए जा रहा है। इसे भारत का सबसे वजनी रॉकेट माना जाता है, जिसका वजन 640 टन है। इस रॉकेट की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह भारत में बना है। इस पूरे प्रॉजेक्ट में 15 साल लगे हैं। इस रॉकेट की ऊंचाई 13 मंजिल की बिल्डिंग के बराबर है और ये चार टन तक के उपग्रह लॉन्च कर सकता है। अपनी पहली उड़ान में इस ने रॉकेट 3136 किलोग्राम के सैटलाइट को उसकी कक्षा में पहुंचाया था। इस रॉकेट में स्वदेशी तकनीक से तैयार हुआ नया क्रायोजेनिक इंजन लगा है, जिसमें लिच्डि ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होता है। चक्रवात गाजा के चेन्नई और श्रीहरिकोटा के बीच तट पार करने का अनुमान जताया गया था, लेकिन इसमें बदलाव आ चुका है। इसरो चीफ ने कहा कि प्रक्षेपण का कार्यक्रम मौसम पर निर्भर है और अनुकूल परिस्थिति नहीं रहने पर इसे टाला जा सकता है। मौसम विभाग ने 11 नवंबर को कहा था कि चक्रवात गाजा के 15 नवंबर को उत्तरी तमिलनाडु और दक्षिण आंध्रप्रदेश तट के बीच कुड्डालोर और श्रीहरिकोटा पार करने का अनुमान है। हालांकि, चक्रवात के मार्ग में बदलाव आया और मंगलवार को श्रीहरिकोटा से बहुत दूर कुड्डालोर और पामबन के बीच तमिलनाडु तट पार करने की संभावना है।

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