नई दिल्ली। मी टू कैंपेन के चलते कई महिलाओं की ओर से यौन उत्पीडऩ के आरोप लगने के बाद विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर मुश्किल में पड़ते नजर आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से उन्हें नाइजीरिया दौरे को जल्द खत्म कर गुरुवार तक वापस लौटने को कहा गया है। मीटू कैंपेन के तहत कई महिलाओं ने उन पर तमाम मीडिया संस्थानों में संपादक रहते हुए यौन उत्पीडऩ करने का आरोप लगाया है।आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक एमजे अकबर शुक्रवार को वापस लौटने वाले थे, लेकिन उन्हें अब गुरुवार को ही लौटने को कहा गया है। सरकार और पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों ने कहा कि वे उनके भविष्य को लेकर विचार करेंगे। एक अधिकारी ने कहा, इस मसले पर विचार चल रहा है, लेकिन उनकी सफाई भी महत्वपूर्ण है।सरकार से जुड़े एक सूत्र ने कहा, कोई फैसला लेने से पहले पूरा विचार किया जाएगा। हम बिना सोचे-समझे कोई फैसला नहीं लेना चाहते। यह महिला सुरक्षा से जुड़ा मसला है, जो पीएम के लिए महत्वपूर्ण है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक नेता ने कहा, कुछ शिकायतें गंभीर हैं और उन पर विचार किया जा रहा है। एक ने कहा कि राजनीतिक दलों और पत्रकारों के बीच अकबर के खिलाफ बन रही राय भी पार्टी के लिए चिंता का विषय है।उन्होंने कहा, महिलाओं और उनकी सुरक्षा से जुड़ा मसला जब भी होता है तो बीजेपी हमेशा अपनी सही छवि पेश करने की कोशिश करती है। हालांकि एक लीडर ने यह भी कहा कि पीएम मोदी और सरकार अपनी टीम पर भरोसा करने में यकीन करते हैं और विपक्षी दलों के हमलों के चलते उन्हें नहीं छोड़ते। इस बार भी सोच-समझकर फैसला लेना होगा। बुधवार को पत्रकार सबा नकवी और लेखिका गजाला वहाब ने अकबर के साथ कथित तौर पर अपने बुरे अनुभवों को साझा किया था। वहाब ने दावा किया था कि अकबर उन पर अकसर अपने केबिन में आने का दबाव बनाते थे। यही नहीं उनकी डेस्क भी इसलिए चेंज कर दी गई ताकि वह उनकी केबिन के सामने ही बैठें और उन्हें जबरदस्ती छूने के मकसद से अलग-अलग टास्क के लिए अकसर बुलाते रहते थे।
एमजे अकबर को नाइजीरिया दौरे से एक दिन पहले लौटने का आदेश
