लखनऊ। आठवीं, नवीं, दसवीं मोहर्रम के जुलूस के पूर्व की तैयारियों के संबंध में अपर पुलिस महानिदेशक लखनऊ जोन राजीव कृष्णा, पुलिस महानिरीक्षक लखनऊ परिक्षेत्र सुजीत कुमार पांडेय के साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ कलानिधि नैथानी द्वारा मोहर्रम के जुलूस में यातायात/सुरक्षा व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर अधिकारियों के साथ बैठक की गई। आठवीं मुहर्रम के जुलूस को लेकर एडीजी जोन राजीव कृष्णा ने बुधवार सुबह आठ बजे पाटानाला चौकी पर एसएसपी और लखनऊ पुलिस के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। वहीं एसएसपी के नेतृत्व में ड्रोन से नवी मुहर्रम के जुलूस को लेकर संदिग्ध मकानों की छतो और इलाकों का निरीक्षण किया गया। एडीजी ने निर्देश दिए हैं कि जुलूस पर सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी रहेगी। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहेगा। जुलूस के मार्गों पर कुछ पुलिस के जवान मकानों की छतों से भी नजर बनाये रहेंगे। एसएसपी ने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी। लोगों की सुविधा के लिए ट्रैफिक डायवर्जन किया गया है। एएसपी ट्रैफिक रविशंकर निम ने बताया कि यह डायवर्जन शाम 6:30 बजे से जुलूस की समाप्ति तक प्रभावी रहेगा।
छठी मुहर्रम अकीदतमंदों ने रो-रोकर बोसा लिया
मुहर्रम की छह तारीख पर सोमवार को मजलिसों में शबीह-ए-रसूल और हजरत इमाम हुसैन के 18 बरस के बेटे जनाबे अली अकबर की शहादत का मार्मिक मंजर पेश किया गया। मजलिसों के बाद ताबूत उठाए गए तो अकीदतमंदों ने रो-रोकर बोसा लिया। वहीं, रात में बड़ा इमामबाड़ा सहित कई जगह हाथों में अलम लिए अजादारों ने दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर मातम किया। इसके बाद लोगों ने तबर्रुक चखकर मुरादें मांगीं और जिनकी मुराद पूरी हो चुकी थीं, उन्होंने इमाम हुसैन की बारगाह में मन्नत बढ़ाई। अशरे की मजलिसों में सुबह से देर रात तक सोगवार शरीक होते रहे। इमामबाड़ा जकी अली खां में हो रही मजलिस में इस्लामी स्कॉलर व मौलाना अरशद जाफरी ने कहा कि इस्लाम तलवार के जोर पर नहीं, बल्कि मोहम्मद साहब के किरदार के जरिए दुनिया में फैला।
मौत के सामने कर्बला में डटे रहे थे इमाम हुसैन के सभी 72 साथी
मौत सामने होती है तो लोग साथ छोड़कर भाग जाते हैं, लेकिन कर्बला में मौत का यकीन होते हुए भी इमाम हुसैन के सभी 72 साथी इसलिए डटे रहे। इमामबाड़ा तकी साहब में हुई मजलिस में मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब के बाद अल्लाह को कयामत तक इस्लाम को बाकी रखना था, इसलिए इमामों को दीन की हिफाजत के लिए दुनिया में भेजा। मौलाना मोहम्मद मियां आब्दी ने कहा कि इस्लाम ने महिला और पुरुष दोनों को शिक्षा हासिल करने का बराबर हक दिया है। इमामबाड़ा आगा बाकर में मौलाना मीसम जैदी, इमामबाड़ा अफजल महल में मौलाना आगारूही और मदरसा-ए-नाजमिया में आयतुल्लाह हमीदुल हसन ने इमाम हुसैन को उनके बेटे का पुरसा दिया।
इमाम की याद में पहनी बेड़ी-हथकड़ी
इमाम हुसैन (अ.स) के 13 बरस के भतीजे और कर्बला के शहीद हजरत कासिम की याद में मंगलवार को कई जगहों से मेहंदी का जुलूस निकाला जाएगा। बड़ा इमामबाड़ा से छोटा इमामबाड़ा तक शाही अंदाज में जुलूस निकलेगा तो नक्खास स्थित शाहगंज से भी जुलूस-ए-मेहंदी उठेगी। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद उनके बीमार बेटे जैनुल आबदीन को कैदी बनाकर कूफे शहर से शाम शहर के बाजारों में घुमाया गया और जुल्म किए गए थे। इसी याद में अकीदतमंदों ने इनकी नज्र दिलाकर हथकड़ी और बेढ़ी पहनी।
या हुसैन की गूंजेगी सदाएं, इन रास्तों से निकलेगा जुलूस
दसवीं मोहर्रम का जुलूस अकबरी गेट से शुरू होगा। इन्हें देखने के लिए हजारों की भीड़ सड़कों और घरों की छतों से देखने को मिलेगी।राजधानी के हजरतगंज, अलीगंज, चिनहट, चौक, बंथरा, सरोजनीनगर, आलमबाग, बीकेटी समेत सभी इलाकों में निकाला जायेगा। पुराने लखनऊ में दसवीं मुहर्रम का जुलूस अकबरी गेट से शुरू हुआ जो नक्खास, बिल्लौचपुरा, हैदरगंज होते हुए कर्बला तालकटोरा पहुंचकर समाप्त होगा। जुलूस जहां जहां से निकलेगा उन रास्तों पर लोग चाकू, छुरी और खंजर से खुद को लहूलुहान कर गमगीन करेंगे। जिन्हें देखने के लिए हजारों की भीड़ सड़को और घरों की छतों पर खड़ी दिखेगी। मातम के ये आलम राजधानी के विभिन्न इलाकों में निकाला जायेगा। इनमें चिनहट, हजरतगंज, निशातगंज, आलमबाग, बीकेटी, इटौंजा, निगोहा, नागरम, बंथरा, सरोजनीनगर, मोहनलालगंज, काकोरी, मलिहाबाद, सहित प्रत्येक इलाकों में दसवीं मुहर्रम का जुलूस निकाला जायेगा।