बढ़ते हिंदू राष्ट्रवाद से भारत के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने का क्षरण हो रहा: रिपोर्ट

वॉशिंगटन। अमेरिका की एक संसदीय रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाल के दशकों में भारत में हिंदू राष्ट्रवाद एक उभरता राजनीतिक बल है जिससे यहां के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने का क्षरण हो रहा है। इसमें चेतावनी दी गई कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म देश में बहुसंख्यक वर्ग की हिंसा की बढ़ती घटनाओं को प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रकार की मंजूरी देते हैं।कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने अपनी रिपोर्ट में कथित धर्म-प्रेरित दमन और हिंसा के विशिष्ट क्षेत्रों का जिक्र किया है। इसमें राज्य स्तरीय धर्मांतरण निरोधी कानून, गोरक्षा के लिए कानून हाथ में लेना, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कथित हमले और गैर सरकारी संगठनों के अभियानों को भारत की धर्मनिरपेक्ष परंपराओं के लिए हानिकारक माना गया है। सीआरएस रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है और न ही यह सांसदों के विचारों की अभिव्यक्ति करती है। इस तरह की रिपोर्ट स्वतंत्र विशेषज्ञ तैयार करते हैं ताकि सांसद इन पर गौर कर सकें और उचित फैसले ले सकें। रिपोर्ट का शीर्षक है इंडिया: रिलिजस फ्रीडम ईशुज। इसमें कहा गया है, संविधान द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता की स्पष्ट रूप से रक्षा की गई है। भारत की आबादी में हिंदुओं की संख्या सबसे ज्यादा है। बीते दशकों में हिंदू राष्ट्रवाद उभरता राजनीतिक बल है और यह कई मायनों में भारत की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है और देश की धार्मिक स्वतंत्रता पर नए हमलों की वजह बन रहा है। यह रिपोर्ट 30 अगस्त की है और इसकी प्रति पीटीआई को गुरुवार को प्राप्त हुई है। यह रिपोर्ट टू प्लस टू वार्ता से पहले अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों के लिए तैयार की गई थी। कई सांसदों ने विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से कहा था कि इस वार्ता के दौरान वह भारतीय नेताओं के समक्ष धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाएं।

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