मैं मंज़िलों का मुसाफ़िर हूँ

आलोक सिंह, एडिटर-ICN

मैं मंज़िलों का मुसाफ़िर हूँ

मुझे रास्तों से प्यार है

मैं नतीजों से मुखातिब हूँ

मुझे मुश्किलों से प्यार है

मंज़िलों की चाहत में रास्तों को न भूल जाना

उनका क्या है मानिंद वक़्त के उनको भी बदल जाना

मैं मंज़िलों का मुसाफ़िर हूँ

मुझे रास्तों से प्यार है

मंज़िलों के सफर में हमसफ़र का ही मज़ा है

न हों ग़र ये साथ तो हर पल एक सज़ा है

मैं मंज़िलों का मुसाफ़िर हूँ

मुझे रास्तों से प्यार है

कितने तजुर्बे कितने किस्से रह जाते हैं सफ़र में

खट्टी मीठी इमली सी यादें रह जाती हैं शजर में

मैं मंज़िलों का मुसाफ़िर हूँ

मुझे रास्तों से प्यार है

मंज़िलों की तलाश में अपनों को नहीं छोड़ा करते

रुख़ हवाओं का यूं बेवजह नहीं मोड़ा करते

मैं मंज़िलों का मुसाफ़िर हूँ

मुझे रास्तों से प्यार है

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