इस्लामाबाद। पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव के लिए वोटिंग है लेकिन उससे पहले ही एक नया राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। नवाज शरीफ की पार्टी (पीएमएल-एन) का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना इमरान खान को जिताने में लगी है। पाकिस्तान की स्थिति को देखते हुए अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के बीच भी यह राय बेहद आम होती जा रही है कि देश की सेना इस चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान का साथ दे रही है।पाकिस्तानी राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना ने देश की बड़ी राजनीति पार्टियों खासतौर पर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपल्स पार्टीको जीतने के लिए बराबर मौके नहीं मिलने दिए हैं। ऐसे में सवाल यह है कि इमरान खान के जीतने से ऐसे कौन से हित पूरे होने हैं जिस वजह से पाकिस्तानी सेना पर उनका साथ देने का आरोप लग रहा है? एक्सपर्ट्स और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसका जवाब भारत से पाकिस्तानी सेना की नफरत और नवाज से उसके जनरलों के कड़वे संबंध में छिपे हैं।जेल में बंद नवाज शरीफ लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि उनके और उनकी पार्टी के खिलाफ साजिश की जा रही है। दरअसल, यह माना जा रहा है कि मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड की राजनीतिक इकाई मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) और फायरब्रैंड मौलवी खादिम हुसैन रिजवी के तहरीक-ए-लब्बैक जैसी कट्टरपंथी पार्टियों को चुनाव लड़वाने के पीछे पाकिस्तानी सेना का हाथ है ताकि पंजाब में पीएमएल-एन के वोट कम किए जा सकें। बता दें कि पंजाब को पाकिस्तान की मुख्य रणभूमि माना जाता है क्योंकि देश की 272 संसद सीटों में से आधी से ज्यादा पंजाब में है। टीएलपी और एमएमएल दोनों ने ही पूरे देश में अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं।इतना ही नहीं, ऑब्जरवर्स का यह भी मानना है कि पाकिस्तानी सेना ने पंजाब में पीएमएल-एन के सदस्यों पर पार्टी बदलने का भी दबाव बनाया है। पीएमएल-एन छोडऩे वाले 180 से ज्यादा उम्मीदवार इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं ताकि पीएमएल-एन उम्मीदवारों को हरा सकें।ऐनालिस्ट आमिर जलील बोबरा कहते हैं, हाल के सालों में, सेना ने मीडिया सहित हर क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाया है। देश की लोकतांत्रिक सरकार इसको लेकर कुछ नहीं कर सकती क्योंकि सेना रणनीतिक तौर पर अपना अजेंडा चला रही है और इसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं है। आमिर ने बताया कि अगर कोई चुनाव में सेना की दखलअंदाजी का सबूत ढूंढने निकले भी तो भी उसे कुछ हाथ नहीं लगेगा।जहां, एक तरफ पीएमएल-एन के संस्थापक पूर्व पीएम नवाज शरीफ अपनी बेटी और दामाद के साथ भ्रष्टाचार के केस में जेल की सजा काट रहे हैं, तो दूसरी तरफ उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को या तो कोर्ट ने अयोग्य करार दे दिया है या फिर इन्हें किसी अन्य कारण से चुनाव लडऩे से रोका जा रहा है।सवाल यह भी उठता है कि आखिर सेना चुनाव में इमरान को क्यों जिताना चाहती है। दरअसल, ऐसा माना जाता रहा है कि नवाज शरीफ और सेना के वरिष्ठ जनरलों के बीच अर्थव्यवस्था और भारत के साथ रिश्तों के मुद्दे पर अक्सर मतभेद ही रहे हैं। नवाज को एक ऐसा नेता माना जाता है जो भारत के साथ वार्ता के पैरोकार हैं, जबकि पाकिस्तानी सेना इसके खिलाफ है। वहीं, इमरान खान खुले में सेना के प्रति अपना समर्थन जाहिर कर चुके हैं। न्यू यॉर्क टाइम्स के इंटरव्यू में इमरान ने कहा था, वह पाकिस्तानी सेना है, दुश्मन सेना नहीं। मैं सेना को अपने साथ लेकर चलूंगा।
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